कवर्धाछत्तीसगढ़

ग्राम मानिकचौरी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का समापन 

महामण्डलेश्वर प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने विराम दिवस पर बताया गीता सार

महामण्डलेश्वर प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने विराम दिवस पर बताया गीता सार

 

कवर्धा। विकासखण्ड कवर्धा के ग्राम मानिकचौरी में गत 29 जनवरी से 6 फरवरी तक था व्यास निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज के सानिध्य में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह का मंगलवार को भव्य समापन किया गया। कथा के अंतिम दिन ग्राम मानिकचौरी सहित बड़ी संख्या में आसपास के सैकड़ों ग्रामीण इस धार्मिक आयोजन में पहुंचे और अंतिम दिन की भागवत था का श्रवण पान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। विराम दिवस पर व्यासपीठ महामण्डलेश्वर प्रज्ञानंद सरस्वती महाराज ने श्री गीता पाठ, श्री गोपाल अर्चना की कथा सुनाई। उन्होने दर्शक दीर्घा में उपस्थित विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा मन चंचल है, हम अपने मन को स्थिर नहीं रख पाते लेकिन जिस मनुष्य ने अपने मन को वश में कर मन को सतसंग और भगवान की भक्ति में लगा दिया मानो उसने जग जीत लिया। महाराज जी ने गीता का सार बताते हुए कहा कि एक समय पाताल लोक में शेषनाग की शय्या पर श्री नारायण जी नैन मूंदकर आनंद में मग्न थे। उस वक्त भगवान के चरण दबाते हुए लक्ष्मी जी ने पूछा हे प्रभू निद्रा और आलस्य तो उन पुरुषों को व्यापता है जो जीव तामसी होते हैं, फिर आप तो तीनों गुणों से अतीत हो। आप तो वासुदेव हो, आप जो नेत्र मूंद रहे हों, इससे मुझके बड़ा आश्चर्य है। नारायण जी ने उत्तर देते हुए कहा हे लक्ष्मी मुझको निद्रा आलस्य नहीं व्यापता, एक शब्द रूप जो भगवद्गीता है उसमें जो ज्ञान है उसके आकार रुप है, यह गीता शब्द रूप अवतार है, इस गीता में यह अंग है पांच अध्याय मेरे मुख है, दस अध्याय मेरी भुजा हैं, सोलहवां अध्याय मेरा हृदय और मन और मेरा उदर है, सत्रहवां अध्याय मेरी जंघा है, अठारहवां अध्याय मेरे चरण हैं। गीता श्लोक ही मेरी नाडिय़ा हैं और जो गीता के अक्षर है वो मेरा रोम हैं। ऐसा मेरा शब्द रुपी जो गीता ज्ञान है उसी के अर्थ मैं हृदय में विचार करता हूं और बहुत आनंद प्राप्त करता हूं। लक्ष्मी जी बोलीं हे श्री नारायण जी। जब श्री गीता जी का इतना ज्ञान है तो उसको सुनकर कोई जीव कृतार्थ भी हुआ है। सो मुझसे कहो। तब श्री नारायण ने कहा हे लक्ष्मी गीता ज्ञान को सुनकर बहुत से जीव कृतार्थ हुए हैं कलयुग में मानव जीवन को सार्थक करने का यही एक साधन होगा। विराम दिवस पर आयोजन के मुख्य यजमान पूर्व विधायक एवं राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अखिल भारतीय तैलिक महासभा डॉ़ सियाराम साहू, जनपद उपाध्यक्ष विरेन्द्र साहू ने व्यास निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज की पूजा अर्चना की तथा कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे भक्तों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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