आज दिनांक 21 अक्टूबर 2022 को राष्ट्रीय मानवाधिकार एवम अपराध नियंत्रण ब्यूरो के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर रणधीर कुमार, प्रदेश अध्यक्ष जातिंदरपाल सिंह जी के मार्गदर्शन में मलायिका सिंह राजपूत के द्वारा पुलिस थाना पंडरिया के थाना प्रभारी रविशंकर राठौर व जे पांडे सर एवम समस्त पुलिस स्टाफ के साथ भारतीय पुलिस स्मृति दिवस मनाया गया।
आज का दिन हमारे पुलिसकर्मियों का शौर्य और बलिदान का इतिहास है। उन्होंने चीन के साथ हमारी सीमा की रक्षा करते हुए जो बलिदान दिया था, उसकी याद में हर साल पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।
1959 में चीन से लगी हमारी सीमा की रक्षा करते हुए 21 अक्टूबर को 10 पुलिसकर्मियों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। उन पुलिसकर्मियों के बलिदान के सम्मान में हर साल 21 अक्टूबर को नैशनल पुलिस डे या पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है। पहले तिब्बत के साथ भारत की 2,500 मील लंबी सीमा की निगरानी की जिम्मेदारी भारत के पुलिसकर्मियों की थी।
भारत-तिब्बत सीमा की रक्षा:
20 अक्टूबर, 1959 को तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स नाम के स्थान पर तैनात किया गया था। कंपनी को 3 टुकड़ियों में बांटकर सीमा की सुरक्षा, निगरानी और चौकसी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सीमा की गश्त के लिए आगे तक गई दो टुकड़ी के सदस्य उस दिन दोपहर बाद तक लौट आए। लेकिन तीसरी टुकड़ी के सदस्य नहीं लौटे। उस टुकड़ी में दो पुलिस कॉन्स्टेबल और एक पोर्टर शामिल थे। अगले दिन सभी जवानों को इकट्ठा किया गया और गुमशुदा लोगों की तलाश के लिए एक टुकड़ी का गठन किया गया।
चीनी सैनिकों का हमला:
गुमशुदा पुलिसकर्मियों की तलाश में डीसीआईओ करम सिंह के नतृत्व में वह टुकड़ी 21 अक्टूबर, 2018 रवाना हुई। उस टुकड़ी में करीब 20 पुलिसकर्मी शामिल थे। कर्म सिंह घोड़े पर सवार थे जबकि बाकी पुलिसकर्मी पैदल थे। पैदल सैनिकों को 3 टुकड़ियों में बांट दिया गया था। दोपहर के समय चीन के सैनिकों ने एक पहाड़ी से गोलियां चलाना और ग्रेनेड्स फेंकना शुरू कर दिया। चूंकि पुलिसकर्मी खुद की सुरक्षा का कोई उपाय नहीं करके गए थे, इसलिए ज्यादातर सैनिक घायल हो गए। उस हमले में हमारे 10 वीर पुलिसकर्मी शहीद हो गए जबकि सात अन्य घायल हुए। सात घायल पुलिसकर्मियों को चीनी सैनिक बंदी बनाकर ले गए जबकि बाकी अन्य पुलिसकर्मी वहां से निकलने में कामयाब रहे। 13 नवंबर, 1959 को शहीद हुए दस पुलिसकर्मियों का शव चीनी सैनिकों ने लौटाया। उन पुलिसकर्मियों का अंतिम संस्कार हॉट स्प्रिंग्स में पूरे पुलिस सम्मान के साथ हुआ।
स्मृति दिवस मनाने का फैसला:
जनवरी 1960 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिरीक्षकों का वार्षिक सम्मेलन हुआ। उस सम्मेलन में लद्दाख में शहीद हुए उन वीर पुलिसकर्मियों और साल के दौरान ड्यूटी पर जान गंवाने वाले अन्य पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने का फैसला लिया गया। उनके सम्मान में हर साल 21 अक्टूबर को ‘स्मृति दिवस’ मनाने का फैसला हुआ।
पुलिस मेमोरियल
हॉट स्प्रिंग्स में एक पुलिस स्मारक बनाने का फैसला भी किया गया था। यह बात भी तय हुई थी कि हर साल देश के विभिन्न हिस्सों से पुलिस बलों के जवान हॉट स्प्रिंग्स की यात्रा करेंगे और उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। साल 2012 से पुलिस स्मृति दिवस परेड का आयोजन पुलिस मेमोरियल, चाणक्यपुरी में राष्ट्रीय स्तर पर होता है।