कवर्धाछत्तीसगढ़

चार दिवसीय छठ महापर्व नवम्बर 17 को नहाय खाय के साथ प्रारंभ होगी।

छठ महापर्व स्वच्छता का सबसे बड़ा प्रतीक है।

छठ महापर्व स्वच्छता का सबसे बड़ा प्रतीक है

रायपुर, नवम्बर 5, 2023: – चार दिवसीय छठ महापर्व नवम्बर 17 को नहाय खाय के साथ प्रारंभ होगी। छठ महापर्व आयोजन समिति महादेवघाट, रायपुर द्वारा आयोजित बैठक में समिति के सदस्यों ने सर्वसम्मति से छठ पूजा 2023 को भव्यता एवं पारम्परिकता से मनाने का निर्णय लिया एवं आयोजन के लिए रुपरेखा तैयार की गयी है। छठ पूजा इस वर्ष नवम्बर 17 से प्रारम्भ होगी।

पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए आयोजन समिति के अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह ने बताया कि समिति ने इस वर्ष छठ पूजा भव्यता और उत्साह से मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि छठ पूजा छत्तीसगढ़ में रायपुर, बिलासपुर, भिलाई-दुर्ग, कोरबा, बस्तर एवं अन्य शहरों में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। रायपुर में छठ पूजा 50 से अधिक स्थानों जैसे खारुन नदी के महादेव घाट, व्यास तालाब और अन्य तालाबों के किनारे इस वर्ष भी छठ पूजा धूम-धाम से मनाया जायेगा ।

उन्होंने बताया है कि चार दिवसीय छठ महापर्व गुरूवार नवम्बर 17 को नहाय खाय के साथ प्रारंभ होगी। इस वर्ष नवम्बर 17 से नवम्बर 20 तक पूरे भारत सहित पूरे विश्व में छठ महापर्व हर्षोल्लास एवं परम्परा के साथ मनाया जायेगा । छठ महापर्व उत्तर भारतीय समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो इस वर्ष नवम्बर17 से प्रारम्भ होगी और नवम्बर 20 को समाप्त होगी। एक सांस्कृतिक कार्यक्रम 19 नवम्बर को संध्या में महादेव घाट पर आयोजित किया जायेगा ।

समिति के द्वारा महादेव घाट पर संध्या महाआरती नवम्बर 19 को आयोजित की जाएगी । 19 नवम्बर को रात्रि में भंडारे का आयोजन किया जायेगा। उषा अर्घ्य के बाद, समिति के द्वारा महा भंडारे का आयोजन महादेव घाट पार्ट 20 नवम्बर को सुबह में किया जायेगा । समिति जिला प्रशासन और नगर निगम के सहयोग से शहर के खारुन नदी के महादेव घाट सहित सभी घाटों कि सफाई करेगी।

छठ महापर्व स्वच्छता का सबसे बड़ा प्रतीक है। वर्तमान में भारत सरकार के द्वारा स्वच्छता का कार्यक्रम चलाया जा रहा है जबकि छठ महापर्व प्राचीन काल से ही स्वच्छता का संदश देती आ रही है। इस पर्व पर लोगों द्वारा शुद्ध प्रसाद बनाया जाता है जिसे सूर्य भगवान को भोग लगाया जाता है। लोगों के द्वारा समूहों में सड़क एवं घाटों की सफाई की जाती है। इस वर्ष नहाय-खाय 17 नवम्बर को मनाया जायेगा। लोहंडा एवं खरना 18 नवम्बर को होगा, संध्या अर्ध्य 19 नवम्बर को होगा और उषा अर्ध्य 20 नवम्बर को होगा। छठ पर्व ही दुनिया का मात्र एक पर्व है जिसमें डूबते सूर्य एवं उगते की पूजा की जाती है। छठ पर्व को षष्ठी पूजा एवं सूर्य षष्ठी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पर्व अब केवल उत्तर भारतीय का न रहकर पूरे विश्व पटल पर अपनी पहचान बना रही है।

छठ पूजा सूर्य और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है। त्यौहार और व्रत के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना और प्रसाद, प्रार्थना और सूर्य देवता को अर्घ्य देना शामिल है। बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग जिस देश एवं राज्यों में जाकर बसे वहां भी अपनी संस्कृति को आज भी बचाये हुऐ हैं। छठ महापर्व नेपाल, फिजी, मॉरिशस, सूरीनाम, गुयाना एवं अन्य देशों में भी मनाया जाता है ।

इस अवसर पर सुनील सिंह, रविंद्र सिंह, कन्हैया सिंह, परमानंद सिंह, रामकुमार सिंह, जयंत सिंह, ब्रजेश सिंह, सत्येंद्र सिंह गौतम, वेद नारायण सिंह, संजय सिंह, संतोष सिंह, मनोज सिंह, अनिल सिंह, एवं अन्य सदस्य प्रेस वार्ता में उपस्थित थे ।

 

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