छत्तीसगढ़

शंकराचार्य आश्रम मे परम पूज्य ब्रह्मचारी डॉ इन्दूभवान्द महाराज का पावन प्रकटोत्सव: शरद पूर्णिमा का भव्य कार्यक्रम आयोजन

रायपुर– शंकराचार्य आश्रम मे आज कार्यक्रम शारदीय नवरात्रि के बाद भारतीय वैदिक परम्परि का महत्व है अर्थ शारदीय नवरात्रि के बाद शरीर जो पूर्ण माना जाता है श्रीमद्भागवत मे ऐसा कथन आता है गोपियो ने जिस रात्रि के लिए गोपीयो ने व्रत किया भगवान की उपासना किया भगवान को प्राप्त करने लिए साधना किया उन्होने योग माया भगवती श्री राधा का आश्रय लेकर उनके साथ रास लीला किया भगवती सृष्टी का प्रथम श्रृष्टी का रचयिता है ।

महत्वपूर्ण दिन शंकर परम्परा ब्राम्हलीन स्वामी स्वरुपानन्द सरस्वती के प्रभारी परम पूज्य ब्राम्हचारी इन्दूभवान्द महाराज जी प्रकटोत्सव एव त्रेता वाल्मिकी जी अवतरण दिवस मनाते है शंकर परम्परा ,मठ परम्परा रस परम्परा के लिए यह दिवस है त्रेता ,आज के दिन हर प्रकार से बहुत महत्वपूर्ण है ।

अश्विनी शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते है तिवारी ने बताया कि इस दिन चन्द्रमा अमृत स्पंदन झरण होता है वास्तव मे भगवती राजराजेश्वरी त्रिपुर सुन्दर ही चंद्र मण्डल मे निवास करती है आज के दिन का खास महत्व स्पंदन झरण या अमृत वर्षा होती है जो इस दिन जडी बुटी मे औषधीय गुण को विकसित करती है ।जो रोग प्रतिरोधक छमता मे वृद्धि करता है आज के दिन शंगोपान होता है आज के दिन का विरोष महत्व है मातृशक्ति के द्वारा हुआ हम लोग जन्मोत्सव मना रहे हमारे छत्तीसगढ के लिए बडे सोभाग्य की बात है आज का दिन बहुत सुन्दर है वैदिक दृष्टि से ,आध्यात्मिक दृष्टि से और स्वास्थ्य की दृष्टी से आज के दिन सब चन्द्रमा को प्रणाम करे सदगुरू को प्रणाम करे , गुरुपरम्परा को प्रणाम करे ।

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