राजनीतिरायपुर

छत्तीसगढ़ में जल्द ही गाय को मिलेगा गौमाता का दर्जा – मुख्यमंत्री साय*

*छत्तीसगढ़ में जल्द ही गाय को मिलेगी गौमाता का दर्जा- मुख्यमंत्री साय*

*00 वह यंग यंग नहीं है जो अधर्म के खिलाफ आवाज उठाता है – पं. धेन्द्रेन्द्र कृष्ण शास्त्री*

*00 सलाहकार हनुमानजी जैसे रखोगे तो भगवान रामजी के पास नहीं जाना, वही लेकर आ जाओगे*

*00 नागालैंड में धर्म परिवर्तन करने वालों का बोरिया-बिस्टर बंधन के बाद जायेंगे बंगाल*

*00 पांच दिव्य हनुमंत कथा का समापन*

*रायपुर।* युवा मैगॉट चंदन – बसंत अग्रवाल (थान खम्हरिया वाले) के नेतृत्व में स्व. श्री अग्रवाल स्मृति फाउंडेशन के आश्रम में दही हांडी उत्सव स्थल, अवधपुरी मैदान, श्रीनगर रोड, गुढ़ियारी में 4 से 8 अक्टूबर तक श्री हनुमंत कथा के विश्राम दिवस बागेश्वर धाम पृणाधिश्वर पूज्य पं. का आयोजन किया गया। धीरेंद्र विष्णु कृष्ण शास्त्री की कथा श्रवण के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने जनसमुदाय को बताया कि पूरे विश्व में सनातन धर्मप्रेमियों का ध्वज लहराते हुए बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का छत्तीसगढ़ के पुधरा में उनका स्वागत है। आज छत्तीसगढ़ के लिए विशाल स्वर का विषय है कि छत्तीसगढ़ जो माता कौशल्या का मायका है और प्रभु श्रीराम का ननिहाल है, माता शबरी की ये धरती है और पावन धरती में महारानी का चरण है, मैं पूरे छत्तीसगढ़ की तीन करोड़ जनता की ओर से नमन करता हूं। उनका समकक्ष आर्शीवाद छत्तीसगढ़ से मिला हुआ है, उनके लिए उनका आधार है।

श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता की ओर से बाबा से यह प्रार्थना है कि बार-बार उनके चरणराज छत्तीसगढ़ में रहें ताकि हम लोग सरकार के माध्यम से माता कौशल्या का यह माका, प्रभु श्रीराम का ननिहाल, इसमें राम राज्य की स्थापना कर सकें, बाबा ने जो छत्तीसगढ़ के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है, फेसबुक क्षेत्र में उनका भी स्वागत है और आज का आर्शीवाद है कि भगवान भोलेनाथ का आर्शीवाद है। मुस्लिम समुदाय की कमर टूट गई है और मुस्लिम समुदाय अंतिम सांसे ले रहा है। यह प्रभु श्रीराम, हनुमान जी और बाबा जी का आशीर्वाद ही संभव है। गौ माता के विषय में पिछले दिनों बाबा जी ने हम लोगों से कहा था कि तहसील स्तर पर 5000-5000 गोठान बना दिया जाए, इस पर मैं बताता हूं कि प्रदेश के नासिक के लोगों के साथ बुजुर्गों से चर्चा कर जैसे महाराष्ट्र में गाय को गौमाता का दर्जा दिया गया है उसी तरह हमने भी जल्द ही छत्तीसगढ़ में गाय को गौमाता का दर्जा दिया। इसके लिए जो भी प्रोसेस है उसे पूरा कर जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय,मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी कौशल्य साय,

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी परिवार समूह, एवं राज्य मंत्री डॉ. टी.के. राम, उच्च शिक्षा मंत्री टींकराम वर्मा, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार, उच्च शिक्षा मंत्री टी.के. हेमेन्द्र साहू, योगेश तिवारी, पूर्व किलेदार विनोद अग्रवाल समेत बड़ी संख्या में रिजर्व नागरिक उपस्थित थे।

*बिच्छू के पास जहर होता है लेकिन महात्माओं के पास भजन और तप*

कथा विश्रांति के अवसर पर स्मारकों को दिखाते हुए बागेश्वर धाम पूर्नाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि वे समय के तो पक्के हैं और तीन बजे तक पहुंच गए थे, लेकिन आप लोगों की घड़ी में 5 बजे गए थे क्योंकि आज संघ का शताब्दी वर्ष था तो संघ परिवार के सदस्य आए थे और उनसे मुलाकात की थी – कितना समय बताया गया था, यह पता नहीं चल पाया है। इस दौरान बैठक हुई जिसमें पंच परिवर्तन पर चर्चा हुई। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा है कि जब नेता बिजी हो जाते हैं तो वे अपने पीए को धोखा दे देते हैं कि हम नहीं आ रहे हैं, आप चले जाओ, उसी प्रकार जब परमात्मा नहीं आते तो महात्माओं को भेज देते हैं। छत्तीसगढ़ में टांका बाजा आयोजित दक्षिण पीठाधीश्वर वेद राजीव लोचनदास जी महाराज, लक्ष्मी गौमाता की परंपरा को पूरे विश्व में स्थापित करने वाले और वर्तमान में 7 से 16 नवंबर तक होने वाली पदयात्रा में उनकी अति विशेष भूमिका निभा रहे हैं। बागेश्वर धाम पर्णाधीश्वर पूज्य पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने युवा मित्र बसंत अग्रवाल का स्वागत करते हुए कहा कि आज हमें एक जगह पर बैठने का मौका मिला और हमें आज संत भी मिल गए और सत्संग करने का सौभाग्य भी मिला। पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा था कि अभी हमें जाना जाता है क्योंकि तूफान को बंद कर दिया गया है। अब धार्मिक जहाज को भी बांधना है। बिच्छू के पास जहर होता है लेकिन महात्माओं के पास भजन और तप।

छत्तीसगढ़ पुलिस की साइबर ठगों के खिलाफ जा रही जागरूकता अभियान*

जागरुकता के लिए दी गई जानकारी बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा सायबर रिजर्व के लोगों को सुरक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। मोबाइल फोन पर फोन पर कुछ असामाजिक तत्व के टुकड़े लगाए गए हैं, आपका बेटा पकड़ा गया है, बंधक हो गया है छुड़वाना, अगर वह छुड़वाना चाहता है हो बिना के तो हमारी ताकत में रुम डाल दो हम छुड़वा देते हैं। ऐसी झूठी-झूठी बातें ये कहते हुए हमें मिलवाने के नाम पर कई लोग लॉटरी बनाने के नाम पर, कई बार फर्जी वेबसाइट में टोकन के नाम पर और फिर छोड़ देते हैं। एक बार एक एस्सेमा ने हमें मोबाइल पर दिखाया कि बागेश्वर धाम सरकार से टायरेक्ट मिला इसके लिए आपको मात्र 1100 रुपये चुकाने होंगे। इस पर हमने उस आदमी को खुद ही फोन किया और कहा कि हम बहुत हैरान हैं कि गुरुजी से करवा दो, तब उसने कहा कि 1100 रुपये अभी भी बात की है, हमने कहा कि गुरुजी कहां हैं, वह बोलता है, तो हमने कहा कि हम उसका पर्सनल असिस्टेंट बोल रहे हैं इस पर वह कहता है कि कौन बोल रहा है तब हमने कहा कि हम वही बोल रहे हैं नाम पर आपका नाम मशहूर कर हो और उसने तुरंत फोन किया और आज तक उसकी फर्म को फोन नहीं किया। इसलिए मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि आप लोग ऐसे लोगों को अपनी कब्रगाह नाके दें, जान-पहचान के पैसे ट्रांसफर करें, बिना छत्तीसगढ़ पुलिस के इस अभियान की रूपरेखा तैयार करें और उनका उत्साहवर्धन करें।

*भगवान के होने के लिए बाहर से रहो संसारी, भीतर से हो जाओ सन्यासी*

पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा है कि मनुष्य तन कहता है जो हम नहीं कर रहे हैं समझ जाओ वह मनुष्य कहलाने नहीं है। रामायण का कहना है कि इंसान को तन तो मिलता है लेकिन वह बड़ा और बड़ा होता है, जो माता-पिता की बात मनवा देता है। जो इंसान तन सेट सूट सुन रहा है वह दूसरे नंबर का लकी व्यक्ति है। चौथे नंबर का लकी पर्सन वह है जो रामजी के स्टेज में अनुराग है, अनुराग का मतलब होता है प्रेम। हम लोग प्रेम तो करते हैं लेकिन रामजी से नहीं पड़ोसी-पड़ोसन से। जगत से प्रेम और भगवान से फोटो का प्रेम है। आप दुनिया में हो और हम भी दुनिया में हैं और इस माया के संसार में बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं सामने आती हैं, इस माया के प्रचंड में भी भगवान कैसे शामिल हो सकते हैं, यह एक उपाय है। बाहर से रहो संसारी, भीतर से हो जाओ सन्यासी। बाहर से दुनिया वालों के पास रहो, अंदर से भगवान के पास जाओ। बाहर से लोगों के रहो अंदर से उसके हो जाओ जिसने यह दुनिया बनाई है। यह कहना तो सरल है लेकिन महसूस करना बहुत कठिन है, धीरे-धीरे धुआँ पीना कठिन है। क्योंकि हम लोगों ने उलटा कर दिया है। गाड़ी का 18 नंबर का स्थान होता है, छोटी गाड़ी के चक्के को बड़ी गाड़ी में फीट कर दिया जाए तो क्या गाड़ी का रूटीन, नहीं ना। तो के अंदर सिस्टम को बनाकर कैसे सुखी रह सकते हैं। भगवान ने एक दिल दिया एक दिमाग दोनों का उपयोग करके कहा और कहा दिल लगाओ भगवान ने दुनिया में दिमाग लगाओ। दिल तो लग रहा है वहां से और दिमाग लगा हुआ है भगवान में, जहां दिमाग लगना चाहिए वहां तुम दिल लगा रहे हो जहां दिल नहीं लगना चाहिए वहां तुम नहीं लग रहे हो, जगत में लगाओ दिमाग है इसकी पुष्टि रामचरित्र मानस ने कर दी है।

*बस्तर में धर्म परिवर्तन करने वालों का बोरिया-बिस्टर बंधन के बाद जायेंगे बंगाल*

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा था कि मन को माधव से जोड़ो और तन को संसार से जोड़ो। अगर सही कनेक्शन होगा तो लाइट जलेगी, जो आस्तिक वाला ही पूज्यनीय होता है तो आस्तिक वाला नहीं होता। आज तक डेंट्री की दुकान में दो वस्तुएं हैं, एक कैंची और एक सुई, कैंची को हमेश दर्जी के नीचे दिया गया है और सुई को हमेशा टोपी में रखा जाता है, क्योंकि कैंची को अलग-अलग करने का काम किया जाता है और सुई को हमेशा जो भी सुई का काम करता है। जो तोड़ने का काम चाहता है वह सिर पर रहेगा और जो तोड़ने का काम चाहता है वह जमीन पर रहेगा। जो तोड़ने का काम करता है वह गढ़ में जमीन देता है क्योंकि रामचरित्र मानस जो अनुयायी का काम करता है इसलिए वह धर्मियों के सिर पर रहता है और धर्मियों की बातें तोड़ने का काम करता है इसलिए उसका समाज वह धोखा देता है। लोग कहते हैं कि हम नहीं सूरजेंगे फिर जो हो जाए हम नफरत में ही प्रेम के आदि हैं पर गर्व से कहते हैं हम छात्रत्ववादी हैं। और वह युवा युवा नहीं है जो अधर्म के खिलाफ आवाज उठाता है। एक बात छत्तीसगढ़ के लोगों से कहना चाहता हूं कि आप आज यहां आकर धर्म परिवर्तन करने वाले हैं और हम लोग बंधवाएंगे। इसके बाद बंगाल भी चलेंगे। हम पर भगवान की बड़ी कृपा है ना आगे भैंस ना पीछे भैंस। जटाओं की महिमा रामचरित्र मानस में इसलिए नहीं की जाती है क्योंकि वह जिस धर्म पर चलते हैं, वहां भी कोई धर्म दिखाई नहीं देता है और यही धर्मात्मा के लक्षण हैं।

*यदि उच्च आचरण होगा तो कितने भी साथी हो जायेंगे तुम हमेशा विजयी रहोगे*

उचारण ठीक हो या ना हो पर उच्च आचरण अवश्य होना चाहिए। कई लोगों का उचारण ठीक होता है लेकिन आचरण ठीक रहता है। यदि उच्च आचरण होगा तो कितने भी गुण हो जायेंगे तुम हमेशा विजयी रहोगे। लेकिन हनुमान जी के पास दो ही ठीक हैं और वह भी उच्च कोटि के। बीमार मरीज ही डॉक्टर के पास जाता है, जो मरीज आ पाता है उसे एम्बुलेंस का सहारा लेना पड़ता है। हनुमान जी भगवान राम से कहते हैं कि जब प्रभु राम जी का हाथ हो और वह गिर जाएगा तो दुनिया में फिर से बचेगा कौन क्योंकि हम तो गिर ही नहीं सकते क्योंकि आपका हाथ हमारे सिर पर है। सलाहकार हनुमानजी रखोगे तो स्थापित रामजी के पास नहीं जाना, लेकर आ जाओगे और हनुमानजी के अंदर यही लीला है। हनुमानजी राजा भी तोड़ते हैं और राम से भी मिलाते हैं। राजा तो बहुत लोग बन जाते हैं पर एक दिन रहता है कहीं उनकी गद्दी घिस ना जाए। हनुमानजी सुग्रीव से बोले तुम डरो मत, हमारी बात मन तार लो गड्डी भी जाएगी, तुम राजा भी बनोगे और रामजी भी हथियार डालोगे, तलवार गड्डी गड्डी भी नहीं।

*हनुमानजी के चरण पकड़ लोगे तो वह रामजी और शिवजी से भी मिलवा देंगे*

हनुमान जी राक्षसों का घर जलाते हैं लेकिन उनकी पूंछ भी बचाते हैं। लोगों का मानना ​​है कि भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता सुनाई थी लेकिन हमें लगता है कि अर्जुन ने तो हनुमान जी को गीता का पाठ सुनाना था। सुनो के रसिक तो हनुमान जी है। जग में दो नाम हैं राम और कृष्ण और हनुमान जी के दो स्थान हैं। आप यदि हनुमान जी की भक्ति करोगे तो ना आप रामजी के पास जाएँगे और ना शिवजी, जानकी माता के पास जाएँगे, केवल हनुमानजी के चरण पकड़ लोगे तो वह रामजी से भी मिलवा देंगे और शिवजी से भी मिलवा देंगे। आप लोग कहेंगे ऐसा संभव है, क्योंकि चारों युगों में हनुमानजी का प्रचलन है। एक बार माता सीता ने हनुमान से कहा था कि लंका में जो आग लगी थी लेकिन तुम नहीं जले, इस पर हनुमानजी ने कहा था कि लंका में जो आग लगी थी यह साधारण आग थोड़ी है रावण ने कहा था कि पाबकदेही में, तब माता जानकी बोलती है पाबक माने भी तो आग होती है। जो भक्त अपराध करता है वह राम के क्रोध रूपी अग्नि में जल जाता है। राम के क्रोध की अग्नि लंका नगर में लगी इसलिए आपने अपराध किया। अग्नि में अगर जलने की शक्ति है तो बचने की भी शक्ति थी। पृथ्वी पर दूसरे रामजी तो हो सकते हैं लेकिन हनुमान जी दूसरे भक्त के रूप में नहीं हो सकते। हनुमान जी की जो भक्ति होती है उसके बाद भी रोगी निरोगी हो जाते हैं।

*भगवान् की मृत्यु से पहले चार बार बजाते है घंटी*

आदमी को अपना जन्मदिन याद रहता है, शादी की तारीख याद रहती है, एक बात कभी भी याद नहीं आती होगी वह बुढ़ापा कब आ जाए उसका कोई सलाहकार नहीं होता है। भगवान की छुट्टी से पहले चार बार घंटी बजाते हैं – पहली घंटी है कान से देना, लेकिन आदमी बड़ा घंटी है मशीन लगाके आ जाता है। दूसरी घंटी है -आंखों से शानदार कम हो जाती है, लेकिन आदमी बड़ा चतुराई दूसरे दिन लैंस का नंबर बदल देता है और चश्मा पहन लेता है। तीसरी घंटी है – बालो को सफेद कर लो, जहां हो गया है चेक कर लो। लेकिन मैन बड़ा चतुर है गोदरेज व डाई लगाके आ जाता है। सर के बालो में तो लगता है कि मूंछों में भी चौथी घंटी बजती है – कमर की हड्डी टूट जाती है और वह आदमी बोलता है और लाठी का सहारा लेता है। दूसरे दिन ही वह आदमी सर्जरी करवाकर चला जाता है और सीधे तौर पर लेजर्ड घुँघरू की तरह हो जाता है। भगवान समझ गए हैं कि यह भजन-कीर्तन नहीं करना है फिर भगवान घंटी नहीं बजाते सीधे ऊपर की टिकटें नहीं दी जा सकतीं। हर-हर महादेव……

यदि हनुमान जी की जय हो तो हम लोग आरती क्या करें – आरती की जय हनुमान बप्पा जूं की धूम, हनुमान जी को बप्पा कहा जाता है जहां हम रहते हैं। हनुमान जी के बाल स्वरूप की ही पूजा होती है क्योंकि हनुमान जी को माता जानकी ने वरदान दिया अजर अमर का। रामजी को कोई जीत नहीं सकता और ऐसी अंगूठी कोई दूसरी नहीं बना सकता क्योंकि रामजी को पता था कि वही हनुमानजी हैं जो माता जानकी जी हैं इसलिए रामजी ने हनुमानजी को अंगूठी अपनी दी थी।

*चंदन – बसंत अग्रवाल सगाई*

पुलिस प्रशासन की टीम, स्वास्थ्य विभाग, युवा स्मारक स्व. श्री अग्रवाल स्मृति फाउंडेशन के समूह के साथ मीडिया का भी युवा वैभव चंदन – बसंत अग्रवाल (थान खम्हरिया वाले) ने पांच दिव्य हनुमंत कथा दिव्य दरबार में सहयोग के लिए नियुक्त किया। उन्होंने कहा कि हम तो सिर्फ पौराणिक कथा वाले हैं तो हनुमान जी हैं। 5 हजार कार्यकर्ता एक महीने से ना दिन देख रहे हैं ना रात देख रहे हैं और अपना काम कर रहे हैं। हमारा प्रयास था कि हम आप लोगों को अच्छी सी अच्छी व्यवस्था मिले, हमारे किसी भी विभाग के पैर में कांता ना रहे और ऐसे ही इस दही हांडी मैदान में हमेशा सनातन का महाकुंभ लगता रहे। गुरुवर हमको एक बात हमेशा याद रहती है 7 नवंबर से जो गुरुवर की सनातन पद यात्रा निकल रही है हमारे सभी इंस्टिट्यूट मंडल के सदस्य वहां जाएंगे। युवा चंदन – बसंत अग्रवाल (थान खम्हरिया वाले) ने जात, पत की करो बिदाई हम सब भाई-भाई का नारा दिया।

*सनातनियों में नवीन ऊर्जा और नवीन क्रांति ला रहे पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री – अभिरामाचार्य महाराज*

मलूखपीठाधीश्वर अभिरामदेवाचार्य महाराज ने कहा कि हम लोगों के लिए गौरव का विषय है कि सनातनियों में नवीन ऊर्जा और नवीन क्रांति के लिए पुरातन स्वरूप से अनेक संतों ने अपने दर्शन बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बनाया है। बार-बार छत्तीसगढ़ पर आपका आगमन होता रहता है यही शुभकामनाएँ आपको देता है।

राजीव लोचन महाराज ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भूमि का सौभाग्य है कि छत्तीसगढ़ में साउदी अभिरामदेवाचार्य महाराज को अग्रिपीठाधीश्वर महाराज जी ने अपने शरण में वेश लेकर वैराग्य में संन्यास ले लिया और महाकुंभ में जगतगुरु द्वाराचार्य के पद पर संन्यास ले लिया। अनुभवानंद चार को जब आचार्य ने बनाया तो इसकी जानकारी छत्तीसगढ़ के लोगों को नहीं थी क्योंकि जब वे यहां आते थे तो कई लोग देखते थे कि यह छगरूप धारण करके यहां आया है। छत्तीसगढ़ में कार्य करने के लिए जगतगुरु ने की नियुक्ति।

*पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री साश्व धर्म और रामजी से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं – लोमेश गर्ग*

बागेश्वर धाम पर्णाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बड़े भाई आचार्य लोमेश गर्ग जी ने कहा कि आप लोग और देशवासी भाग्यशाली हैं क्योंकि वर्तमान समय में बहुत ही प्रखर और सुंदर चल रहे हैं। यही एक ऐसा समय है जब आम धर्म भी कर सकता है और यही वह समय है जब विजय प्राप्त होगी वही शेष रहेगा। ऐसे धर्म की प्रतिज्ञा करने के लिए भगवान महापुरुषों के रूप में पृथ्वी पर आ रहे हैं, धर्म की स्थापना करते हैं, तो आप लोगों को भी धर्म लाभ मिल रहा है बागेश्वर धाम सरकार का। हम और सबसे ज्यादा खुश हैं कि हमें ऐसे संजू मिले जिन पर आज देश पर भी गर्व है और हमें तो गर्व है क्योंकि महाराज जी हमसे 12 साल छोटे हैं। बचपन से बचपन, युकी वाणी में बड़ा खुलता है। 6 डायनासोर, 6 प्यारे भाई और इन सभी में आर्शीवाद मिलाप और बचपन से लेकर मीठी-मीठा कहानी तो आवाज भी बड़ी हो गई है आज और एक ही आवाज में राम नाम का आश्रय लेकर जोसेफ धर्म और रामजी से जो भी शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं। जैसे प्यार और भाव के कई रूप और कई रूप होते हैं, माता-पिता, बड़े भाई, इसके अंदर छोटे के प्रति ममत्व होता है और वह ममत्व स्नेह जागता है और सहानुभूति मिलन पर विश्वास जताती है और हमारा दिल रोता है। छोटा है और पता नहीं कब सो रहे हैं और कब आ रहे हैं, दशहरा पर कुल पूजा होती है वहां पर हमें पूरा परिवार मिलता है। कल सुबह 4 बजे भोजन किया, जिसे देखकर हम रोते हैं क्योंकि धर्म और देश के लिए अन्न जल का त्याग कर रहे हैं ये त्याग वो नहीं हैं। केवल आप लोगों को दर्शन के लिए अपनी भूमि, भूख, नींद और भोजन सब त्यागना पड़ता है, हम लोगों की बार-बार डाट भी सहा जा रहा है। कहते हैं हमारी मजबूरी है, व्यवस्था है। हम लोग भी दर्शन और मिलने के लिए जाते हैं। जो धर्म त्याग कर दूसरे धर्म को अपनाए हुए हैं आज आप सब एक साथ एक प्रेम सूत्र में बंधक बने रहेंगे तो एक-एक समय का भोजन न करें तो फिर मिलेंगे और श्री महाराज को भी। इसलिए धर्म पर चलना, धर्म का आचरण करना।

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