
कवर्धा – कहते हैं क़रीबी जानकार जंगल विभाग में कार्य करते -करते जंगल के राजा से कम नही समझते हैं वन परिक्षेत्र लोहारा के रेंजर अनुराग वर्मा इनकी धमक इतनी है यें नियम कानुन सब को अपने पैसा और पावर के बल पर सुन्य घोषित कर चुके हैं इनके जिला का अफसर हो या संभागीय अफसर हो सभी इनके कमाई में शेयरधारी बन कर इनसे याराना रखना पसंद करते हैं!साहब इसलिए लोहारा परिक्षेत्र के मालिक बन बैठे हैं।
इन्हें किसी का जरा भी परवाह नहीं है इनके सामने सब बौने है साहब का कहना है क्षेत्र के नेता,विधायक मंत्री सब इनके मुरिद है संरक्षण करते हैं इनके कितना भी शिकायत कोई भी करें कोई कुछ नहीं बिगाड सकते और ना कुछ जांच करा सकते जांच हुई भी तो खाना पुर्ती कर दिया जाता है परिणाम साहब लोहारा परिक्षेत्र में जंगल का राजा समझते हैं तो सही समझते हैं यें जंगल के राजा अनुराग वर्मा के फेंके टुकड़े से क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी मुरिद इनके अनुसार अगर होते हैं तो राजा साहब तो अपनी नियम कानून चलाने में महारत हासिल तो करेंगे ही इसमें कोई बड़ी बात नहीं है पर इनके फेंके टुकड़े में इनके मुरिद होने वाले पर प्रश्नचिन्ह जरुर उठता है क्षेत्र के जनता फेंके टुकड़े पर मुरिद होने वाले जनप्रतिनिधि चुना है तो जनता को विचार करना चाहिए।
बहर हाल आप को बता दें यह जंगल विभाग के जंगल राज कायम करते हुए अनुराग वर्मा रेंजर का करतुत इस हद तक बढ़ गया है!डेलीविजेस में इनके दफ्तर में कार्यरत एक युवती पर इनकी बर्बरता इस हद तक जा पहुंचा है युवती अपनी जान देने की बात कह रही है! आप को अवगत हो यह युवती अपनी बिमार मां के साथ रहती है और लोहारा परिक्षेत्र कार्यलय में पुर्व वन मंत्री के सहयोग से इनको दैनिक वेतनभोगी के पद पर नियुक्ति कराई गई थी तब तक उनके कार्य संतोषजनक था अचानक सरकार बदलते ही जंगल का राजा जंगल राज कायम करने उतारू हो गया और राजा से सांड बन गया और अपने ही मुलाजिम पर बुरी नियतगडा डाला और मुलाजिम को अपने अधीन करने तमाम हद पार करते हुए मुश्किल परिस्थिति उनके सामने पैदा करने हर ओ अंतिम सीमा में जाकर उन्हें अपने सामने दंडवत करने मजबुर करने लगे।
बाऊजुद झासी की रानी की तरह ये तथाकथित जंगल के राजा रुपी सांड के आंतक के सामने चुनौती देती रही इसके तमाम हथकंडे का सामना अकेली मातहत दैनिक वेतनभोगी अपनी नौकरी बचाने जुल्म सहते हुए अपनी पुरी निष्ठा से कार्य को इमानदारी के साथ कर्तव्य निभाती रही है तब भी यें तथाकथित जंगल के राजा समझने वाले सांड रुपी रेंजर अपने मक़सद में कामयाब नही हो पाया तो थक हार कर यह कर्मचारी के उपर आफिस की फाइल चोरी का इल्ज़ाम लगा कर थाने में झुठी शिकायत किया और इधर थाना के आड़ में इनसे दबाव बनाते रहा मेरा बंगला में काम करने डिप्युटी लगा देता हूं कभी आफिस में फ़ाइल के बहाने बुला कर छेड़खानी करने लगे पर इससे भी इसका मकसद पुरा नही हुआ तो इनके एक साल से उपर का मान्यदेय भी रोक दिया अब इस पिडित महिला दैनिक वेतन भोगी के सामने चौतरफा अनुराग वर्मा लोहारा परिक्षेत्र अधिकारी रुपी तथाकथित राजा रुपी सांड इस पर ज़ुल्म दाता रहा है।
तब भी यह कर्मचारी अपने आप को इनके सामने समर्पण नही किया तो इन्हें काम से बाहर का रास्ता दिखा दिया और फंड का आभाव बता दिया जबकी इन्हें हटाने के बाद और पहले भी इनके द्वारा दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी रख कर उन्हें उनका मजदूरी बराबर दिया जा रहा है सिर्फ इनके मनमानी करने के लिए नतमस्तक नही होने वाले दैनिक वेतनभोगी के लिए फंड का कमी हो गया है!अब इस तमाम समस्या को लेकर पिडित महिला दैनिक वेतनभोगी जिला वन अधिकारी संभाग वन अधिकारी जिला के विधायक मंत्री सभी के दरवाजा बार बार खटखटाई पर किसी ने इनके दर्द को नही समझा किसी ने इस सांड के आंतक को नही परखा परिणाम ये अपने आप को जंगल का राजा समझने लगा है इसीलिए यें कहता फिरता है ,,सईयां भये कोतवाल,तो डर काहे का,,और इनका कहना भी लाजमी है इनके आंतक का शिकायत हर दरवाजे में पहुंच चुकी है बाऊजुद शिकायत कर्ता को ही सबुत मांगते हुए भगा दिया जाता है और उनके शिकायत को अस्वीकार कर रद्द कर दी जाती है तो फेंके टुकड़े भारी है या एक दिन हिन शिकायत कर्ता पर डाये जुल्म भारी है इसका तुलना फेंके टुकड़े तय करें तो इंसाफ या फर्ज कुछ के लिए मायना नही रखता है।
यह बात लोहारा परिक्षेत्र अधिकारी और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी का मामला से समझा जा सकता है आप को बता दें सब रास्ता बंद हुआ कही से इस पिडित महिला को इंसाफ नही मिला तो अंत में इनके कृत्य से परेशान होकर पुलिस अधीक्षक कबीरधाम को भी शिकायत लिखित में दिया है जहा भी पहले से रेंजर के इसारे में काम करने वाले थाना द्वारा सबुत मांगा जा रहा है अब अकेले दफ्तर में बुला कर छेड़छाड़ का सबुत पिडित कैसे लायें और इस पिडित के उपर जुल्म का कोई रक्षा नही करते देखने वाले अन्य कर्मचारी कैसे ये जंगल राजा के खिलाफ गवाही देंगे यह समझने वाले समझ सकते हैं पर यहा जीन्हे समझ कर यह पिडित को मदद करना चाहिए इनके अधिकार को दिलानी चाहिए उन्हें नजर नहीं आ रहा है अब क्यों नहीं आ रहा है यह समझ सकते हैं।