कारखाना प्रशासन नापतौल विभाग के साथ मिलकर किसानो को गलत साबित कर रहा।
कवर्धा। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री विजय शर्मा के गृह जिले में शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर गन्ना तथा धान खरीदी के दौरान किसानो के साथ खुलेआम संबंधित विभागों द्वारा छलकपट करने तथा उनके हक तथा अधिकारों पर डांका डाले जाने की शिकायत लगातार सामने आ रही है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन शिकवा शिकायतों के बाद भी शासन-प्रशासन किसानो की समस्याओं का समाधान करने कोई रूची नहीं दिखा रहा है, उल्टा भ्रष्ट प्रशासनिक व विभागीय तंत्र आपसी सांठ गांठकर किसानो को ही गलत साबित कर करने का प्रयास कर रहा है। उक्त बातें कवर्धा कृषि उपज मण्डी के पूर्व उपाध्यक्ष चोवाराम साहू ने जारी बयान में कहीं।
श्री साहू ने आरोप लगाते हुए कहा कि भोरमदेव सहकारी शक्कर उत्पादक कारखाना में बीते करीब एक माह से गन्ना तौल में गड़बड़ी की जा रही है। जिसे लेकर किसानो ने बकायदा अपने स्तर पर धर्मकांटा की जांच भी की है जिसमें पाया गया है कि किसानो से कम तौल दिखाकर अधिक गन्ना लिया जा रहा है। किसानो ने धर्मकांटा में पाई गई इस गड़बड़ी का बकायदा एक वीडियो भी सोशल मीडिया में वॉयरल किया है। श्री साहू ने बताया कि किसानो द्वारा इस वीडियो को सोशल मीडिया में वॉयरल किए जाने के बाद सक्ते में आए कारखाना प्रशासन ने आनन-फानन में अपने धर्मकांटा की तौल को सही कराया दिया और फिर किसानो को गलत साबित करने के लिए जिले के नाम तौल विभाग से सांठगांठ कर धर्मकांटा में सही तौल किए जाने का प्रमाण-पत्र भी ले लिया।
पूर्व कृषि उपज मण्डी के उपाध्यक्ष चोवाराम साहू ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या गन्ना पैराई प्रारंभ होने के बाद नाप तौल विभाग ने स्वयं एकाध पर कारखाना के धर्मकांटा का औचक निरीक्षण किया था और जब किसान बीते एक माह से गन्ना तौल में गड़बड़ी की शिकायत कर रहे थे तो नाप तौल विभाग और कारखाना प्रशासन कहां था। उन्होने कहा कि अब जब किसानो ने कारखाना प्रशासन की पोल खोल दी और उनके बीते करीब एक माह के भीतर किए गए लाखों के भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया तो विभाग सफाई दे रहा है। श्री साहू ने कहा कि बीते एक माह के भीतर जो करीब 50 लाख रूपए का किसानो को नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कौन करेगा? उन्होने कारखाना प्रबंधन से इस शॉर्टेज की भरपाई करने और किसानो के साथ इस तरह का छल तथा भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों पर कार्यवाही की मांग शासन प्रशासन से की है।