कवर्धाछत्तीसगढ़पंडरिया

से बहिष्कार में संतुष्टी नही हुई तो प्रशासन के सहभागी में चलाई आशियाना पर बोल्डोजर परिवार आयें बारिश में सड़क पर।

से बहिष्कार में संतुष्टी नही हुई तो प्रशासन के सहभागी में चलाई आशियाना पर बोल्डोजर परिवार आयें बारिश में सड़क पर।

खडसरा बेमेतरा -: आजादी के अमृतकाल मोदी जी का मानें तो भारत मना रहा है पर बेमेतरा जिला के मोहतरा गांव में रहने वाले शत्रुहनदास,श्यामदास सतनामी के लिए आज भी आजादी तरस रही है आज भी दलित का दंड भोग रहा है आज भी मोहतरा गांव में ओ मानसिकता जिंदा है जो उत्तर प्रदेश के ईटावा में दिखाई दें रहा छत्तीसगढ़ में राजा तो आदिवासी राजनीति में बना दी गई है! पर राजा के राज में भाजपा के अंतिम लक्ष्य अंत्योदय का विकास आज भी अछुता दिखाई दे रहा है।

सरकार हर सुविधा आज मुफ्त में बांट कर देश का खजाना खाली तो कर ही रही है उल्टा कर्ज का बोझ लाद चुकी है साथ ही जो जमीन खाली हैं वह जमीन हमारी है सरकार घोषित कर चुकी हैं परिणाम सरकार सरकारी जमीन बेची भी है और पट्टा के रुप में बांटती भी है इसी कड़ी में ग्राम पंचायत मोहतरा जिला बेमेतरा में सरकारी जमीन सरपंच के बतायें अनुसार 200 एकड़ है जीसमे गांव के अनेक लोग अतिक्रमण करके घर खलिहान एवं खेती भी कर रहे हैं उन पर अतिक्रमण मुक्त नही कराई जा सकती है पर शत्रुघ्न दास श्याम दास पर अतिक्रमण मुक्त कराने पुरे गांव के लोग एक राय बना चुके हैं और गांव का कहना शत्रुघ्न श्याम दास मानता नही है इसलिए उनके उपर गांव से बहिष्कार करने का दंड दिया गया है और उससे भी बात नहीं बनी तो राजतंत्र में राजा निर्वाचित जनप्रतिनिधि होता है जीनके सामने नौकरशाह दंडवत हैं जीसका उपयोग किया गया और प्रशासन के बल पर 18/6/2025 को शत्रुघ्न श्याम दास के आशियाना (घर) को चौथे बार बोलडोजर चला कर धरासाई कर दिया गया है जिससे ऊक्त परिवार के कुल 17 सदस्य खुलें आसमान के तले बारिश में आ गये है ।

इस परिवार मे छोटे बच्चे भी बुजुर्ग भी एक बच्ची तो घर पर बार बार बोल्डोजर चलते देख बेहोश भी हो गई घर के सदस्य बगडते हालत देख कर जो समझ आयें बचाव का उपाय किया गया पर मजाल है मोहतरा गांव के किसी लोगों का जो सैकड़ों के संख्या में बोल्डोजर चलाने पुलिस बल के साथ तहसीलदार के उपस्थिति में पहुंचे किसी भी इन्सान में जो तड़पती बच्ची को मदद पहुंचाये किसी ने 108 भी नहीं बुलाई जिससे उस बच्ची का इलाज हो सके यहां तक प्रशासन के लोग भी सहयोग से बचें रहे सब मजा लेते रहे शत्रुघ्न श्याम दास पर बज्रघात होते रहे आप भी उस मंजर को कल्पना करें और उस स्थान पर स्वयं को रख कर विचार करें कैसी रही होगी पिडित परिवार का मनोदशा ?ज्ञात हो हम अतिक्रमण के पक्ष में बात नही कर रहे हैं पर अतिक्रमण शहर गांव कही नही छुटा है सरकार अतिक्रमण के नाम पर ठोस प्लान की है ना ठोस कदम उठाती है ।

इस मामले में पावर के आधार पर कार्यवाही हमेशा सरकार करती है चाहे सरकार किसी भी दल का हो अतिक्रमण आने वाले समय के लिए सबसे बड़ा अशांति का कारण है इस ओर सरकार सही कदम नहीं उठाई तो हर गांव शहर में बड़ी समस्या है आज किसी भी गांव शहर में बडती आबादी के दबाव में सार्वजनिक उपयोगी नदी नाला तालाब श्मशान घाट गौठान जैसे जगह बच नही पा रही है बेतहाशा जनसंख्या अपने घर बना कर रहना चाह रहा है और सभी आवश्यक सुविधाएं पानें चाहें तो विवाद अशांति पनप रहा है।

इसी कड़ी में ग्राम पंचायत मोहतरा को भी माना जा सकता है पर बात यहा गंभीर इसलिए है शत्रुघ्न श्याम दास को तत्कालीन सरपंच पांडेय ने 50 हजार रूपए लेकर गांव के श्मशान घाट के पास बसाया था 209,10 में तब सरकारी जमीन होने के कारण लिखा पढ़ी नही किया सरपंच अपने पावर का उपयोग करते हुए स्थान बता कर बसा दिया लेकिन सरपंच बदलते ही यह बसाया गया परिवार राजनीति प्रतिशोध का अखाड़ा बन गया जो भी बसाने का विरोध चाहा अपनी षड्यंत्र इस परिवार के लिए अपनी पावर का उपयोग करते रहा और इस परिवार को अपना प्रकोप का असर दिखाते हुए चार बार घर तोड़ डाले यहा तक 151 प्रतिबंधात्मक कार्यवाही करा कर जेल भी भिजवा चुके हैं पर शत्रुघ्न श्याम दास इतनी प्रताड़ना के बाद भी टुट नही रहें हैं बार बार समस्या के बाद भी वहा से हटना नही चाहते हैं बात ये नही है बात है मजबुरी शत्रुघ्न श्याम दास के पास कही भी जमीन नहीं है और ना आर्थिक तौर पर मजबूत है जो कही इतना बड़ा परिवार के लायक भुमि खरीद कर बस सकें मुख्य वजह यह है

इसलिए बार बार प्रताड़ित होने के बाद भी उसी जगह पर झोपड़ी बना कर 17 लोगों का परिवार अपना जीवन चलाना चाहता है पर कुछ गांव के ताकत को इनका यहा बसना खटकता है उनके पावर पर चोट पहुंचाती है परिणाम चौथे बार बोलडोजर चला दिया जाता है साथ ही गांव से बहिष्कार तो है ही इसमें बेमेतरा प्रशासन भी भरपूर भागीदारी करती है पर बेमेतरा प्रशासन को ख्याल रखना चाहिए बहिष्कार करने वाले पर उचित कार्यवाही भी की जा सकती है और बेदखल किया है तो बेवस्थापन भी करना होता है!पर तहसील बुल्डोजर चलाने यु ही नही आते हैं विशेष पावर का उपयोग बार बार करने अब इतनी सी बात का पालन भी नहीं करते हैं आदिवासी राजा के राज में तो यह तो राजा साहब ही तय कर सकते हैं आखिर कौन सी शक्ति है जो बेवस्थापन कराने रोकती है और बहिष्कार जैसे कार्यवाही के लिए संविधान इजाजत नहीं देता है तो बहिष्कार करने वाले पर कौन सा संविधान में प्रावधान है जीनका प्रयोग उस गांव में जाकर उस परिवार को अर्धनग्न कर घुमाना उस परिवार का हुक्का पानी बंद कर उनके घर पर बार बार बुल्डोजर चलाने प्रशासन के लोग शामिल होना आखिर क्यों और कब तक यह होता रहेगा सरकार के संरक्षण में यह तो राजा ही तय कर सकता है।

इस बात पर गांव के सरपंच कहते हैं उक्त जमीन गांव का श्मशान घाट है वहा गांव में आपत्ति है उक्त परिवार को गांव के खसरा नंबर 11 में 2.5 डिसमिल जमीन में बसने के लिए बोला जाता है पर मानता नही है इसलिए बेदखल की गई है।

सरपंच ग्राम पंचायत मोहतरा

इस बात पर पिडित शत्रुघ्न दास का कहना है 2.5 डिसमिल जमीन गांव से 3 किलोमीटर बाहर नाले के पार है जहा बस्ती बसाहन भी नहीं है आने जाने का जगह भी नहीं है उस तरह है जैसे कचरा को फेक दिया जाता है वैसा फेका जाना है जहा पर पांडेय सरपंच बसाया है वह श्मसान घाट नहीं है पर भी यहा से हटाना चाहते हैं तो मुझे ऊक्त स्थान से हटा कर यहा से कुछ दूर में दें दें जगह मैं हटने तैयार हूं पर कचरा बना कर कही भी फेंकना सही नहीं है

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