कवर्धाछत्तीसगढ़

जिले में मनरेगा के मजदूरों को तीन माह से नहीं मिली मजदूरी: चोवाराम साहू

तीज त्यौहार में मजदूरों के हांथ खाली, आर्थिक तंगी से जूझ रहे मनरेगा के मजदूर

तीज त्यौहार में मजदूरों के हांथ खाली, आर्थिक तंगी से जूझ रहे मनरेगा के मजदूर।

कबीरधाम जिले में मनरेगा मजदूरों का करीब 36 करोड़ का भुगतान लंबित।

 

कवर्धा। कहते हैं कि न्याय तभी है जब मजदूर को उसका पसीना सूखने से पहले मजदूरी मिल जाए। लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि भाजपा शासनकाल में छत्तीसगढ़ राज्य और कबीरधाम जिले के मनरेगा मजदूरों को पसीना सूखने से पहले तो दूर, मजदूरी करने के महिनो बाद भी मजदूरी नहीं मिल पा रही है। उक्त बातें मजदूरी से वंचित मनरेगा मजदूरों की पीड़ा व्यक्त करते हुए कवर्धा के पूर्व मण्डी उपाध्यक्ष चोवाराम साहू ने जारी बयान में कहीं। श्री साहू ने अपने बयान में बताया कि भाजपा शासनकाल में प्रदेश सहित कबीरधाम जिले में केन्द्र सरकार की मनरेगा योजना के तहत कार्य करने हजारों महिला एवं पुरूष मजदूरों को विगत करीब तीन माह से मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। उन्होने बताया कि अगर सिर्फ कबीरधाम जिले की ही बात की जाए तो जिले में मनरेगा मजदूरों का करीब 36 करोड़ का भुगतान लंबित है वहीं जिले के विकासखण्ड स. लोहारा में मनरेगा के तहत मजदूरी करने वाले मजदूरों को मई माह के बाद से मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है जिसकी मजदूरी राशि करीब 7 सात करोड़ रूपए है। कवर्धा के पूर्व मण्डी अध्यक्ष चोवाराम साहू ने बताया कि बीते तीन माह से मनरेगा के मजदूरों को मजदूरी का भुगतान नहीं होने कारण उनके सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा होने लगा है। क्योंकि मजदूरी वहीं व्यक्ति करता है जिसके पास अपना कोई रोजी रोजगार अथवा नौकरी नहीं होती। मजदूर और उसका परिवार पूरी तरह से मजदूरी पर ही आश्रित होता है। अपना खून पसीना बहाने के बाद जब मजदूर को समय पर मजदूरी मिलती है तब उसके परिवार का भरण पोषण हो पाता है। लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार काबिज हुई है मनरेगा के मजदूरों को उनकी मजदूरी भी समय पर नहीं मिल पा रही है। जबकि इस समय तीज त्यौहार का दौर चल रहा है और ऐसे में मजदूरों को राशि की सख्त जरूरत है। बावजूद इसके शासन-प्रशासन तथा बड़ी-बड़ी बातें करने वाले क्षेत्रीय औहदेदार मंत्री और विधायक इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। श्री साहू ने शासन, प्रशासन से मनरेगा मजदूरों की इस गंभीर समस्या के तत्काल निकारण कर उन्हें पूरे तीन माह की लंबित मजदूरी का एक मुस्त भुगतान किए जाने की मांग की है।

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