छत्तीसगढ सरकार द्वारा पेश बजट का एक सामान्य विश्लेषण
छत्तीसगढ की कांग्रेस सरकार द्वारा सदन में दिनांक 06.03.2023 को पेश आम बजट जनहित एवं जनकल्याण का कम बल्कि आने वाले विधानसभा व लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने हेतु पुन: वादों का पिटारा। जय बंजारे बसपा नेता
छत्तीसगढ की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी ने कल बजट पेश किया, जिसमें कांग्रेस की पुरानी आदत अनुसार कभी न पूरा होने वाले वादों का अंबार लगा दिया। छत्तीसगढ सरकार किसानों की ॠण माफी का ढिंढोरा ज्यादा पीटती नजर आती है, जबकि इस योजना से लघु एवं सीमांत किसानों को कोई फायदा नहीं पहुंचा है, केवल बड़े-बड़े जमींदार जिन्होनें लाखों का लोन ले रखा था, उन्हीं को ही ज्यादा फायदा पहुंचाने का काम हुआ है। और 02 साल का बकाया बोनस देने का वादा को सरकार ने भुला दिया है। किसानों को न्याय देने का छत्तीसगढ माॅडल मात्र एक छलावा है। गांव में जाकर देखने से पता चलता है कि छत्तीसगढ के अधिकांश आदिवासी, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्गों के किसान भूमिहीन हो गये हैं, क्योंकि उनकी जमीनों को कांग्रेसी, भाजपाई पूंजीपतियों ने कब्जा कर लिया है। और वो बेचारे किसान अपनी ही जगह पर नौकर बनकर काम करने को मजबूर हो गये हैं। क्या यही है कांग्रेस का छत्तीसगढ माॅडल…? कृपया भूपेश बघेल जी यह बताने का कष्ट करें।
सरकार ने गोबर को गोधन बताया और एक-दो बार गोबर खरीदा। बाद में किसान गोबर इकट्ठा करके सरकारी अधिकारियों का इंतजार करता रह गया लेकिन गोबर लेने कोई अधिकारी नहीं आया। बाकि गोबर खरीदी-बिक्री की आड़ में करोड़ों की हेराफेरी जरूर हो गई। बेरोजगारी भत्ता युवाओं को छलने का नया प्रपंच है, और कुछ नहीं।
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पेंशन 1000 रुपए करने का वादा किया था, परंतु केवल 500 रुपए करने की घोषणा किया वो भी अपने अंतिम बजट में। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका बहनों और मितानिनों को पूरे 05 साल रोड में उतरने के लिए मजबूर किया और आने वाले चुनावों में लाभ मिल जाये ऐसा सोचकर कुछ राशि बढ़ाने का कार्य किया है। आंगनबाड़ी बहनें और मितानिन बहनों को कांग्रेस की इस चाल से सावधान रहने की बीएसपी की सलाह।
ग्राम कोटवार,मांझी,पटेल एवं माटी पुजारी को वेतन देने की घोषणा से वो बेचारे खुश तो होंगे लेकिन उनके अधिकारों को पूरी तरह से खत्म करने का काम चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी की सरकार हो दोनों ही ये काम कर रहीं हैं। पहले ग्राम कोटवार,मांझी,पटेल या माटी पुजारी की सहमति के बगैर कोई भी काम नहीं होता था, लेकिन आजकल इन महत्वपूर्ण व्यक्तियों को सरकारी अधिकारियों के पीछे घूमने वाला नौकर बना दिया गया है।
भूपेश बघेल जी छत्तीसगढ में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि से गदगद हैं। जबकि सच्चाई ये है कि देश की 40% दौलत 01% अमीरों के पास है और 60% दौलत 99% लोगों के पास है। इस आर्थिक असमानता के होते हुए प्रति व्यक्ति आय का सही आंकड़ा कैसे निकाला जा सकता है।
भूपेश बघेल जी ने कुल 01 लाख 12 हजार 708 करोड़ का बजट पेश किया,और ये दावा किया कि बजट का 45% अनुसूचित जाति और जनजाति के विकास के लिए रखा है।
इनके दावे में कोई सच्चाई नहीं है। क्योंकि अगर कुल बजट का 45% निकालें तो 50 हजार 719 करोड़ रुपये बनता है। मान. भूपेश बघेल जी से यह सवाल है कि इस बजट से जो भी निर्माण कार्य आदि होगा क्या उनका ठेका/टेंडर अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को मिलेगा..? क्या SC/ST के पढ़े लिखे युवओं को ठेकेदार बनाने का काम भूपेश बघेल जी करेंगे। जैसा कि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की रही सरकारों में मुख्यमंत्री रहकर बहन कु. मायावती जी ने करने खा काम किया था। अगर नहीं तो फिर ST/SC के विकास का झूठा राग अलापना बंद करें तो ही बेहतर होगा।
बजट पेश करने के दौरान भूपेश बघेल जी ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है। बजट के दौरान विपक्ष शान्त रहा। किसी प्रकार का कोई टोका-टोकी नहीं किया। विपक्ष में बैठी भाजपा क्यों विरोध करेगी क्योंकि भाजपा को अपने फायदे से मतलब है। भाजपा इस देश को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र से हिन्दू राष्ट्र बनाने के एजेंडे पर काम कर रही है, और कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ में भाजपा के एजेंडे को पूरा करने में तन-मन-धन से साथ दे रही है। फिर चाहे वो राम वनपथ गमन के लिए स्पेशल बजट का प्रावधान हो, कौशल्या मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य हो या फिर देशभर के साधु संतों द्वारा हिन्दू राष्ट्र बनाने की शुरुआत छत्तीसगढ से करने की अनुमति देने का कार्य हो। बीजेपी के जो कार्य हैं भूपेश बघेल उसी हिन्दुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं तो बीजेपी कांग्रेस के इस कार्य का विरोध क्यों करेगी…?
इसीलिए 21 वीं सदी के महानायक मान्यवर साहब कांशीराम जी नें कांग्रेस और बीजेपी को नागनाथ और सांपनाथ कहा था। इन दोनों को अलग समझना प्रदेश की आम जनता के लिए बहुत बड़ी भूल होगी।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि हवा-हवाई वादे करके मान. भूपेश बघेल जी ने आगामी चुनावों में राजनीतिक फायदा लेने के लिए ये चुनावी बजट पेश किया है।
इसे होली के त्योहार के समय पेश किया गया है, इसीलिए इस होली के रंग में रंगे चुनावी बजट को यही कहा जा सकता है कि भूपेश कका ने थोड़ी भांग ज्यादा पी ली थी इसलिए बुरा ना मानो होली है, इसलिए राज्य की जनता वादे ,आश्वासनों को ज्यादा गंभीरतापूर्वक ना ही लें तो ही बेहतर। ।।