रायपुर। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के मुखिया भूपेश बघेल ने मां दंतेश्वरी की पावन धरा में ध्वजारोहण के दौरान आगामी वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल 2023 से बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की है। इस निर्णय पर आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि जिस प्रकार 76% आरक्षण व्यवस्था लागू किया गया, लेकिन वास्तविक लाभ अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग को नहीं मिला है ।
इसी प्रकार नई पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू की गई लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों के 18 वर्ष के जमा राशि डूबत खाते में जाती नजर आ रही है तथा ब्याज राशि को भी पचा लिए जाने से वास्तविक लाभ दोनों घोषणाओं से नहीं मिला तथा दोनों घोषणाओं में केंद्र सरकार पर आरोप लगाकर कर्मचारियों व नागरिकों को छला गया।
उसी कड़ी में अब यही स्थिति बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने में होगी। कुल मिलाकर प्रदेश की जनता से किए जा रहे छलावा को प्रदेश के मतदाता समझ रहे हैं तथा वर्ष 2023 के आम चुनाव में छत्तीसगढ़ सरकार को वास्तविकता का अहसास कराएंगे।
दूसरी ओर सरकार के पास तीन प्रकार के आंकड़े हैं तथा रोजगार कार्यालय में पंजीयन नहीं के बराबर है। जिनका पंजीयन हुआ था वह भी समय सीमा समाप्त होने तथा उनको पंजीयन कराने में ऑनलाइन कठिनाइयों को देखते हुए यह घोषणा व वास्तविक बेरोजगारों को मिलने वाला लाभ भ्रम की स्थिति में हैं।
आम आदमी पार्टी के रायपुर जिला अध्यक्ष नंदन कुमार सिंह एवं जिला सचिव विजय कुमार झा अधिवक्ता ने बताया है कि मुख्यमंत्री द्वारा किए गए दोनों घोषणाएं केंद्र और राज्य के झगड़े में फंसा हुआ है, न आरक्षण का लाभ मिला, न पुरानी पेंशन योजना की जमा राशि व ब्याज की राशि मिली। इसी प्रकार बेरोजगारों को प्रतिमाह ढाई हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता देने तथा इस प्रक्रिया में 500 करोड़ का बजट खर्च आने की बात कही गई है। राज्य सरकार एक लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि के कर्ज में डूबा हुआ है,न केवल प्रदेश के नागरिक बल्कि बेरोजगार भी उस कर्ज के सहभागी हैं। प्रदेश का हर बेरोजगार कर्ज में डूबा हुआ है, फिर भी भूपेश बघेल शगूफे छोड़कर जन मानस को गुमराह कर रहे है।
राज्य सरकार में उमेश पटेल युवा एवं खेल मंत्री द्वारा 15 लाख बेरोजगार होना बताया गया है। वही युवा कांग्रेस द्वारा किए गए सर्वे में 34 लाख बेरोजगार बताया गया हैं। रोजगार कार्यालय में पंजीयन की स्थिति से सभी बेरोजगार व आम जनता अवगत है। जन घोषणा पत्र में किए गए वादे को साढ़े 4 साल बाद अर्थात 1 अप्रैल 23 के बाद आगामी बजट वित्तीय वर्ष 23-24 में लागू करने की बात कही जा रही है। इस संबंध में अधिकृत आदेश जारी होने पर इस घोषणा की स्थिति और स्पष्ट होगी।
चुनावी वर्ष के अंतिम समय में बेरोजगारों को झुनझुना पकड़ाना व हम देना चाहते हैं केंद्र रोक रही है वाली बात कहकर अपना पल्ला झाड़ना जैसी यह स्थिति बनेगी।
इसके अतिरिक्त कर्ज में डूबी सरकार 2500/- रु मासिक बेरोजगारी भत्ता देने के लिए अन्य विभागों के बजट आवंटन में कटौती करने की बात भी कर रही है। केंद्र सरकार की एजेंसी ने छत्तीसगढ़ में मात्र 0.1 बेरोजगारी होना बताया है जो वास्तविकता से परे है लेकिन सरकार उसे ही विधानसभा के पटल पर भी रख रही है। डेढ़ लाख अनियमित कर्मचारी, संविदा, कलेक्टर दर, प्लेसमेंट, ठेका प्रथा के कर्मचारी बेरोजगार ही है। ऐसी स्थिति में 2500/- मासिक मिलेगा कि नहीं यह अभी काल के गर्भ में है। निसंदेह जिसमें कम से कम लोगों को देना पड़े रोजगार कार्यालय के पंजीयन की शर्त लागू कर 90% बेरोजगार युवाओं के साथ पुनः छल किया जाएगा।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुन्ना बिसेन, सूरज उपाध्याय, दुर्गा झा, उत्तम जायसवाल, केएस नायडू, एम एस हैदरी, डॉ शिवनारायण द्विवेदी, जसवीर सिंह, प्रियंका शुक्ला, वीरेंद्र पवार, नरेंद्र ठाकुर, कलावती मार्को,विजयलक्ष्मी तिवारी, संतोष कुशवाहा, धीरज ताम्रकार, मुकेश देवांगन, नीरज चंद्राकर, पुष्पेंद्र परिहार अधिवक्ता, एम एल टंडनb अधिवक्ता, परविंदर सिंह पन्नू, सीएल दुबे, प्रकाश ठाकुर, आदि नेताओं ने प्रदेश के सभी बेरोजगारों को चुनावी घोषणा पत्र में घोषित किए गए तिथि से साढ़े चार वर्ष का बेरोजगारी भत्ता मय ब्याज भुगतान करने की मांग मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से की है।
बदलबो छत्तीसगढ़।