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भरदा गांव में साहू समाज के तीन लोगों पर हमला, पेशाब कर अपमानित किया; मोबाइल और रुपये लूटे – पुलिस कार्रवाई पर सवाल

भरदा गांव में साहू समाज के तीन लोगों पर हमला, पेशाब कर अपमानित किया; मोबाइल और रुपये लूटे – पुलिस कार्रवाई पर सवाल

गुरुर/बालोद।

छत्तीसगढ़, जिसे कभी “शांति का टापू” कहा जाता था, अब लगातार बढ़ते अपराधों को लेकर चर्चा में है। राज्य में अपराधियों का बेखौफ व्यवहार और कानून का कमजोर भय बड़ी घटनाओं का कारण बन रहा है। इसी कड़ी में बालोद जिले के गुरुर थाना क्षेत्र के भरदा गांव में 6 दिसंबर 2025 को एक ऐसी घटना सामने आई जिसने पूरे मानव समाज को शर्मसार कर दिया।

  • धमतरी जिले के ग्राम रावां, थाना अर्जुनी निवासी
  • बलराम साहू, सतीश साहू और वेदप्रकाश साहू,

जो पिछले कई वर्षों से बैल-भैंस का कारोबार कर अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं, 6 दिसंबर को ग्राम भरदा के साप्ताहिक बाजार में पशु खरीदी-बिक्री करने पहुंचे थे।

व्यापार कर लौटते समय कुछ तथाकथित गौ-रक्षकों ने इनका रास्ता रोक लिया और बिना किसी कारण के मारपीट शुरू कर दी। पीड़ितों के मुताबिक, आरोपियों ने न केवल तीनों को बेरहमी से पीटा बल्कि उनके ऊपर पेशाब कर अमानवीय अपमान भी किया। यही नहीं, उनके मोबाइल फोन और पशु खरीदने के लिए रखे हुए नकद रुपये भी लूट लिए। पीड़ितों का कहना है कि अपराधियों ने इतनी बुरी तरह मारपीट की कि वे अधमरे हो गए।

 

घटना के बाद तीनों घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ चार दिनों तक इलाज चलने के बाद उन्हें घर ले जाया गया और वे अब भी डॉक्टर की दवाइयों पर निर्भर हैं।

पुलिस पर गंभीर आरोप

पीड़ितों ने गुरुर थाना पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उनके अनुसार पुलिस ने इस गंभीर और शर्मनाक घटना को मामूली व जमानती धाराओं में दर्ज कर मामले को दबाने की कोशिश की।

परिवार का आरोप है कि पुलिस पीड़ितों की बजाय अपराधियों का साथ देती दिख रही है, जिस कारण मुख्य आरोपी अभी भी बेखौफ घूम रहे हैं।

 

पीड़ितों के अनुसार—

  • यह लूट, जानलेवा हमला और अमानवीय कृत्य था,
  • लेकिन पुलिस केवल छोटी धाराएँ लगाकर इसे साधारण मारपीट के मामले जैसा दिखा रही है।

इस वजह से पीड़ित परिवारों में भारी रोष है और समाज के लोगों में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर गहरा असंतोष है।

अपराधियों में कानून का भय कम, अपराध का ग्राफ बढ़ता हुआ।

 

लोगों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में अपराध तेजी से बढ़ने का एक बड़ा कारण कानून लागू करने वालों की ढिलाई है। जब अपराधियों को सख्त दंड का भय नहीं होता, तो वे और अधिक निर्भीक होकर घटनाओं को अंजाम देते हैं। भरदा की घटना इसका स्पष्ट उदाहरण है।

पीड़ित परिवारों का आरोप है कि—

  • पुलिस हल्की धाराएँ लगाकर समझौता कराने का दबाव बना रही है,
  • गंभीर अपराध को हल्का दिखाया जा रहा है,
  • जिससे अपराधियों का मनोबल और बढ़ रहा है।

सरकार और पुलिस के लिए चुनौती

अब देखने वाली बात यह होगी कि

  • सरकार छत्तीसगढ़ में बढ़ते अपराधों पर किस तरह लगाम लगाती है,
  • और क्या बलराम साहू, सतीश साहू तथा वेद साहू को न्याय मिल पाता है या नहीं।

लाल आतंक को खत्म करने का तमगा लेने वाली सरकार क्या गली-कूचों में फैल रहे अपराधियों पर सख्ती दिखा पाएगी, यह आने वाला समय बताएगा।

 

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