
विशेष खोजीं रिपोर्ट।
सरदार वल्लभभाई पटेल शक्कर कारखाना, पंडरिया — भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता उद्योग
छत्तीसगढ़ का ऐतिहासिक सरदार वल्लभभाई पटेल शक्कर कारखाना, पंडरिया आज अपनी पहचान, उद्योग और किसानों के भरोसे—सबको खोने के कगार पर खड़ा है। एक समय यह कारखाना कबीरधाम जिले की आर्थिक रीढ़ माना जाता था, मगर आज हालात ऐसे हैं कि किसानों को मूल दर भी नसीब नहीं हो रही, मेंटेनेंस और बिलिंग सिस्टम में करोड़ों का घोटाला उजागर हो रहा है, और नेताओं-अधिकारियों की मिलीभगत से कारखाना सुनियोजित तरीके से कमजोर किया जा रहा है।
🔍 भ्रष्टाचार का गढ़ बनता शक्कर कारखाना
1️⃣ मेंटेनेंस में करोड़ों की हेराफेरी
कारखाने के अंदर मशीनों की मरम्मत और रख-रखाव के नाम पर हर सीजन लाखों-करोड़ों के बिल पास किए जाते हैं।
लेकिन जमीन पर काम न के बराबर, और बिल किताबों में ऐसे फुलाए जाते हैं मानो बड़े पैमाने पर अपग्रेड हुआ हो।
– फर्जी पार्ट्स के नाम
– बिना खरीदी के बिल
– पुरानी मशीनों को ‘नई’ दिखाकर भुगतान
इसी गोरखधंधे ने कारखाना को कंगाल कर दिया है।
👥 2️⃣ जरूरत से ज्यादा मजदूर—तनख्वाह का अनाप-शनाप बोझ
जरूर से ज्यादा प्लांट मे अधिक मजदूर भर्ती कर दिए गए।
कई भर्ती नियम विरुद्ध, कई सिर्फ सिफारिश से।
उत्पादन घटा, पर खर्च बढ़ता गया।
कारखाने की बैलेंस शीट में मजदूरी लागत इतनी बढ़ गई है कि सिर्फ वेतन देने में ही करोड़ों निकल जाते हैं—वहीं उत्पादन लगभग ठप।
📉 3️⃣ बैलेंस शीट को गलत दिखाकर वास्तविक घाटा छिपाया जा रहा है
अंदरूनी सूत्रों का दावा है कि:
घाटा कम दिखाने
भुगतान रोकने
हेरा-फेरी को छिपाने
के लिए बैलेंस शीट में कूटनीतिक तरीके से गलत आंकड़े चढ़ाए जा रहे हैं, जिससे वास्तविक नुकसान सामने न आए।
💰 4️⃣ करोड़ों के फर्जी बिल—कारखाना बना ATM
कई सप्लायरों को बिना माल दिए करोड़ों के बिल पास हुए।
कुछ ठेकेदारों का ‘नेता-एडमिन’ गठजोड़ इतना मजबूत है कि:
फर्जी कंपनियां बनाई जाती हैं
उनसे ‘कागजी खरीद’ दिखाई जाती है
पैसा सीधे नेताओं-अधिकारियों की जेब में जाता है
कारखाना सिर्फ ‘डॉक्यूमेंट्स’ में चल रहा है, वास्तव में मशीनें ठप और कर्मचारी निराश।
🚜 5️⃣ किसान सबसे बड़े पीड़ित — ₹400 की जगह ₹200 का भुगतान
किसानों को भुगतान अब आधी दर पर किया जा रहा है।
बोनस की बात तो छोड़ दीजिए, उनका मूल मूल्य भी समय पर नहीं मिल पा रहा।
जहां ₹400 क्विंटल मिलना था, वहां सिर्फ ₹200 क्विंटल देकर किसानों का शोषण किया जा रहा है।
किसान मज़बूरी में गन्ना बेच रहे हैं, लेकिन कारखाना अपनी ही लूट से किसानों को संकट में धकेल रहा है।
🎯 6️⃣ फैक्ट्री को बर्बाद करने की साजिश—प्राइवेट कंपनी को देने की तैयारी?
अंदर की सबसे खतरनाक जानकारी यह है कि कुछ प्रभावशाली नेता चाहते हैं कि कारखाना पूरी तरह डूब जाए।
क्यों?
ताकि
इसे प्राइवेट कंपनियों को सौंपा जा सके
जमीन और मशीनरी का बड़ा सौदा हो
नेताओं व अधिकारियों को भारी आर्थिक लाभ पहुंचे
यह खेल चलता रहा तो आने वाले समय में कारखाना नीलामी या लीज़ पर निजी हाथों में जा सकता है।
अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध
नेताओं की मौर और अधिकारियों की मुहर—दोनों ने मिलकर फैक्ट्री को आज की स्थिति तक पहुंचाया है।
शिकायतों पर कार्रवाई नहीं
ऑडिट रिपोर्ट दबा दी जाती है
फर्जी बिलों पर हस्ताक्षर
भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण
यह सब प्रश्न उठाता है कि क्या शासन-प्रशासन जान बूझकर आंखें मूंदे बैठा है?
आज की स्थिति: कारखाना ICU में, किसान बेबस, भ्रष्टाचार मस्त
सरदार वल्लभभाई पटेल शक्कर कारखाना सिर्फ फैक्ट्री नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत और जिले की पहचान था।
आज उसी को नेताओं-अधिकारियों की मिलीभगत ने कंगाल, अकार्यक्षम और भ्रष्टाचार का गढ़ बना दिया है।
यदि तुरंत कड़े कदम नहीं उठाए गए—
✔️ CBI/ACB जांच
✔️ बाहरी एजेंसी से ऑडिट
✔️ फर्जी बिल रद्द
✔️ दोषियों पर कार्रवाई
तो आने वाले वर्षों में पंडरिया की शक्कर फैक्ट्री सिर्फ एक खंडहर बनकर रह जाएगी।
✍️ समापन:
यह सिर्फ फैक्ट्री का भ्रष्टाचार नहीं, किसानों का भविष्य दांव पर है**
यह रिपोर्ट किसी राजनीतिक पक्ष या व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि सिस्टम में व्याप्त उन खामियों का आईना है, जिसने एक महत्वपूर्ण उद्योग को पंगु बना दिया है।
जो दोषी हैं, उन्हें कानून के दायरे में लाया जाना ही पंडरिया, कबीरधाम और छत्तीसगढ़ के हित में है !
इस तरह के गंभीर समस्या को उजागर शोषल मिडिया में विशेष खोजीं रिपोर्टर द्वारा किया गया है अब इसमें कौन है वह नेता और अधिकारी क्षेत्र के किसानों के बदहाली कराने में लगे हैं इसे किसानों को ढुंढ कर निकालना होगा समय रहते अन्यथा किसानों के विकास का एक मात्र सहारा छीन जायेगा




