कवर्धा -: राजस्व विभाग अपने कारनामों से कभी बाज नहीं आती जबकी यहा प्रशासन के सबके कंट्रोल पावर रहती है इसी विभाग में तहसीलदार से लेकर कलेक्टर पदस्थ रहते हैं पर ये बड़े बड़े पद सभी विभागों पर डंडा चलाने ततपर रहती है पर खुद के विभाग पर कभी झांकती नहीं है परिणाम किसान सबसे ज्यादा तकलीफ़ रहता है वह राजस्व विभाग के प्रथम कड़ी वह है पटवारी से पटवारी वह मजबूत किला है जीनको पार करना किसी सीमा बार्डर पार करना होता है।
पटवारी जीवन का हर आवश्यकता का सुरवात है पर प्रारंभ ही कठिनाई होती है तो अंत का क्या बिसात,*दिया तलें अंधेरा* कहावत सुनें होंगे यह बात राजस्व विभाग में फिट बैठती है सरकार कितना भी सुधार बेवस्था की बात कहें पर पटवारी को सुधार करना मुश्किल है? सरकार बड़ा ही पार्दर्शिता की बात कहते हुए धान खरीदी की बात करती है पर धान सर्वे तो पटवारी को ही करना है कबीरधाम जिले के धान से खेती की जाने वाली कुल रकबा का सर्वे राजस्व विभाग के पास होनी चाहिए वहीं कृषि विभाग के पास भी अति आवश्यक रूप से होनी चाहिए।
वही गन्ना व अन्य फसल उपज करने वाले राजस्व भूमि का भी सर्वे होना अनिवार्य रहता है पर भी पटवारी द्वारा ड्रोन कैमरा से फसल का सर्वे करने सरकार का निर्देश हुआ है और प्रत्येक खसरा के आधार पर फसलों का सर्वे जिनको गिरदावरी कहा जाता है वह करने राजस्व विभाग का कड़ा निर्देश रहा है पर इन निर्देशों का पालन पटवारी आज तक करना जरूरी नहीं समझते परिणाम स्वरूप खसरा नंबर के भूमि पर जो फसल बोई गई है
किसान द्वारा वह पटवारी के रिकॉर्ड में सुधार प्रथम सर्वे पर नहीं किया गया अपुष्ट जानकारी आती है पटवारी द्वारा घर बैठे गिरदावरी कर दिया गया कुछ पटवारी मौका गांव में गए पर कोटवार व कुछ किसानों को लेकर दो चार दस खसरा नंबर का सर्वे करके अपना इति श्री कर लिए परिणाम तहसील मुख्यालय में आज भारी संख्या में रोज किसान अपने सर्वे सुधार करने के लिए चक्कर काट रहे हैं इसी कड़ी में आज कवर्धा तहसील कार्यालय में देखा गया सुबह से लेकर शाम तक किसान अपने खेत का सर्वे सुधार करने के लिए भुइयां कार्यक्रम के ऑपरेटर के चक्कर काटते नजर आए पर ना कंप्यूटर ऑपरेटर वहां उपस्थित ना तहसीलदार उपस्थिति और ना कोई जिम्मेदार जवाब देने वाले अधिकारी उपस्थित परिणाम किसान दिन भर जद्दोजहत करते रहे और यही हाल रोज का है अगर पटवारी खसरा नंबर में जो फसल बोई गई है उसका सर्वे करके गांव में ही सुधार कर लिया होता तो इतनी भारी संख्या में किसान तहसील कार्यालय का चक्कर नहीं लगाते यह एक बड़ा ही सोची समझी पटवारीयों का एक खेल है धान खरीदी सरकार एक लक्ष्य आधारित कार्यक्रम चला रही है पर किसान के पास एक निश्चित कृषि भूमि है जिसमें विभिन्न फसल उगाई करते हैं।
कवर्धा जिला में प्रमुख रूप से गन्ना का भी खेती भारी मात्रा में किया जा रहा है और दूसरे स्थान पर धान की खेती भी की जा रही है पर कृषि भूमि हर गांव में एक निश्चित है और इस भूमि पर धान और गन्ना के अलावा राहर व अन्य फसल भी किसान ले रहे हैं पर पटवारी के रिकॉर्ड सुधार नहीं किया गया है इस पर राजस्व विभाग के बड़े बड़े अफसर गांधी के तीन बंदर बने बैठे हैं इस हालात में किसानों के मन में सरकार के प्रति भारी आक्रोश फैल रही है जिला में सरकार के बड़े बड़े पद पर विराजमान नेता विधायक सांसद मंत्री यहा तक विधानसभा अध्यक्ष भी जिला के है पर किसानों का समस्या जटिल बना कर रखने वाले राजस्व अमला पर इन नेताओं का बेसुध पना कही इनकी बुनियाद कमजोर करने का कारण ना बन जाए समय रहते इन नेताओं को इस गड़बड़ी पर लगाम नहीं लगाई जाती है तो विभिन्न किसान संगठन नेताओं के खिलाफ जंग अवश्य छेड़ देंगी।
फिर हाल फसल सुधार का समय 25 नवम्बर अंतिम बताई जा रही है उधर हड़ताल पर आज तहसीलदार रहे हैं इन हालात पर किसानों का समस्या अवश्य बढ़ने वाली है और धान बेचने में अड़चनों का सामना किसानों को करने होंगे अनेक किसान धान बेचने से वंचित भी हो सकतें हैं।