कवर्धा -: आज गोवर्धन पूजा है, देश के अलावा छत्तीसगढ़ में गोवर्धन पूजा का मतलब है गौ माता का पूजा करना, भारत के संस्कृति में विशेष कर हिंदू धर्म में गाय को गौ माता का दर्जा दिया हुआ है आज गौ माता को विभिन्न राजनीतिक धार्मिक सामाजिक शक्तियों के द्वारा मुद्दा बनाया जा रहा है पर उनके नाम पर मुद्दा तो जरूर बनाया जा रहा है पर इनकी मूल रक्षा का उपाय किसी के पास नहीं है ।
सरकार अपने स्तर पर जो संभव हो सकता है वह कर रही है पर जरूरत है समाज को आगे आना, आज धीरे-धीरे हर गांव से गाय की कमी हो रही है भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि में गाय भैस बकरी इत्यादि पशुपालन को प्रथम स्थान पर रखा है पर इसे प्राथमिकता दिया जाता था धीरे-धीरे दूरी बनाई जा रही है और इसके पीछे मूल कारण सब जानते हैं पर इसकी रक्षा के लिए कोई सामने आना पसंद नहीं कर रहा है आप गांव में जाकर देखेंगे पहले गांव में पशु पालन को प्राथमिकता दिया जाता था और गाय भैंस बकरी को जीवकोपार्जन के मुख्य जरिया हुआ करता था तब गांव में दो बातों को महत्व दिया जाता था पशु का स्थान भगवान से बढ़ कर था और उनकी रखरखाव सेवा चारा को विशेष ध्यान दिया जाता था पर आज यह कार्य दुर्लभ होते जा रहा है पशुओं से दुरी बनाई जा रही है गाय को गौ माता कहे जाने वाले आज लावारिस करने में लगे हैं इनके पिछे मुख्य वजह है गांव के चारागाह पर भारी अतिक्रमण (बेजा कब्जा ) आप किसी भी गांव में जाकर देखेंगे तो पता चलता है चारागाह हो या गौठान हों बेजाकब्जा कर लिया गया है जानवरों का चारागाह समाप्त हो गई है अब जानवरों का चारा का जगह बच पाया है ना गौठान जहा ग्रामीण गोवर्धन पूजा कर सकें, धीरे धीरे गोवर्धन पूजा चारदीवारी तक सीमट रही है गांव का दईहान जहा पुरा गांव के गाय को एकट्ठा कर राऊत दोहा पारते हुए मातर मडई का आभास कराते हुए गोवर्धन पुजा करने गांव भर से प्रत्येक नागरिक एकत्रित होते थें और ओ एक-दुसरे के माथे पर गोबर का टिका लगा कर आपसी भाईचारा प्रेम आदर का परिचय देकर गोवर्धन पूजा का आनंद और उल्लास मनाया जाता था वह मात्र बेजा कब्जा अतिक्रमण ने निगलना चालूं कर दिया है गौठान नहीं होने से गोवर्धन पूजा करने का समस्या उत्पन्न हो गई है चारागाह भूमि नहीं होने से ग्रामीणों द्वारा पशुपालन करने से दूरी बनाई जा रही हैं ।
समाज और सरकार इस ओर ध्यान नहीं दिया तो धीरे धीरे गाय या गोवर्धन पूजा को इतिहास बनने से कोई रोक नहीं पायेंगा! जरुरत है गाय की रक्षा पर काम करना है तो जरुरी है समाज में जागरूकता के साथ गाय की पालन पोषण जरुरी है उतना ही जरुरी चारागाह भूमि और गौठान आवश्यक है तभी पशुपालन संभव है! भुपेश बघेल की सरकार इस ओर कदम बढ़ाई थी हर गांव में चारागाह और गौठान अनिवार्य किया था पर वह सिर्फ सरकारी बन कर रह गया पर महत्वपूर्ण योजना थी तत्कालीन विरोधी दल एवं वर्तमान सरकार उस योजना की गड़बड़ी पर लगातार विरोध जताई और सरकार को घेरा वर्तमान गृह एवं पंचायत मंत्री बढ़-चढ़ कर विरोध जताया गौठान गौठान गया और सरकार को इस योजना के गड़बड़ी पर घेरा है!पर बात आ गई है गड़बड़ी के विरोध करने वाले ही आज उस योजना को सफलता के साथ लागू करायें क्योंकि यह ग्रामीण जन जीवन के लिए महत्वपूर्ण कार्य है हर गांव में गौठान व चारागाह अति आवश्यक है सरकार को गौशाला बनाने की आवश्यकता नहीं है आवश्यकता है गांव गांव में चारागाह गौठान का अतिक्रमण मुक्त कराने और इसकी सुरक्षा और उपयोगिता के लिए समाज में जनजागृति लाने की इस कार्य को समाज की संरक्षा और सरकार की कुशलता का गठजोड़ से सफलता मिलेगी जो प्राथमिकता के साथ साय सरकार को करनी चाहिए तभी गोवर्धन पूजा की सार्थकता है।