आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर कटौती स्वीकार नहीं।
सरकारी सेवाओं और संस्थानों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं रखने वाले पिछड़े समुदायों तथा अनुसूचित जातियों और जनजातियों से सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए भारत सरकार ने भारतीय कानून के जरिये सरकारी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में इन विशेष समुदायों को प्रतिनिधित्व करने का अधिकार आरक्षण के तहत दिया है।
मूलभूत सिद्धान्त यह है कि अभिज्ञेय समूहों का कम-प्रतिनिधित्व भारतीय जाति व्यवस्था की विरासत है। भारत की स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत के संविधान ने पहले के कुछ समूहों को अनुसूचित जाति (अजा) और अनुसूचित जनजाति (अजजा) के रूप में सूचीबद्ध किया। संविधान निर्माताओं का मानना था कि जाति व्यवस्था के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ऐतिहासिक रूप से पिछड़े रहे और उन्हें भारतीय समाज में सम्मान तथा समान अवसर नहीं दिया गया और इसीलिए राष्ट्र-निर्माण की गतिविधियों में उनकी हिस्सेदारी कम रही। ऐसे पिछड़े समूहों को समाज के मुख्य धारा में जोड़ने के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू किया गया है। परन्तु छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार लगातार आदिवासी हितों को ताक पर रख कर लगातार ऐसे ऐसे आदिवासी विरोधी नीतियों को बढ़ावा दिया है जिसके कारण आदिवासी समाज अपने हितों को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य में असुरक्षित महसूस कर रहा है।
भाजपा आदिवासी नेत्री जिला पंचायत सदस्य अनीता ध्रुव ने कहा कि आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर कटौती आदिवासी समुदाय को स्वीकार नहीं है। उच्च न्यायालय में भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार के द्वारा आदिवासियों के पक्ष में ठीक से बात नहीं रख पाने के कारण लोक सेवा आरक्षण संसोधन विधेयक अपास्त हो गया है।आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण पर छत्तीसगढ़ के कांग्रेस सरकार की नाकामी के गंभीर दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं।
आदिवासियों के अधिकारों को छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के अनुसुचित जाति, अनुसुचित जनजाति व अन्य पिछड़ा के लोगों के पीठ पर छुरा घोंपा है। अनीता ध्रुव ने आरक्षण कटौती को लेकर भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार को घेरते हुए कहा कि बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में 2012 से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की रिक्तियों में जो स्थानीय निवासियों द्वारा ही भरा जाना अनिवार्य था उसे अब इस भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार के द्वारा आदेश निकालकर छीन लिया गया है, इसके लिए स्पष्ट रूप से छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है॥आदिवासियों के हितों पर एक के बाद एक अत्याचार कर संवैधानिक हक को आदिवासियों से छीनते जा रही है।जिसे आदिवासी समाज को स्वीकार नहीं है। अब ऐसे में आदिवासियों को अपने विवेक को जागृत कर अपने हितैसी राजनीतिक पार्टियों का चयन करना ही होगा। जो जल जंगल और जमीन से आदिवासियों को बेदखल ना करे। आदिवासियों को प्रकृति से दूर करने का षड्यंत्र है अनीता ध्रुव ने बताया की आदिवासी समाज प्रकृति पूजक होते है प्रकृति से आदिवासियों का गहरा संबंध होता है।प्रकृति के बिना आदिवासियों काबघे जीवन अधूरा है। परन्तु भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार छत्तीसगढ़ के जंगलों को उजाड़ कर आदिवासियों के जीवन निर्वाह के साधनों पर अडानी का एकाधिकार जमा दिया है। अब ऐसे में कोयला खदानों के नाम पर आदिवासी संस्कृति को खत्म करने का गहरा षड्यंत्र रचा जा रहा है।