
भोरमदेव मंदिर में ब्लाॅक स्तरीय मानस गायन प्रतियोगिता हुई। इसमें ब्लॉक के 10 क्लस्टर में से 8 कलस्टर के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। स्पर्धा में सबमें राम-सबके राम, छत्तीसगढ़ के भांचा श्रीराम के संदेश को श्रोताओं ने प्रशंसा की। फाइनल में चिखली कलस्टर के ग्राम ढ़ोंगईटोला की मां सरस्वती मानस मंडली ने रामचरितमानस की प्रस्तुति दी। इस मंडली के ग्रामीण कलाकारों ने गायन, वादन, प्रवचन के प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
कलेक्टर रमेश शर्मा व ब्लॉक के जनप्रतिनिधियों ने 10 हजार रुपए नकद व अन्य उपहार भेंट कर इस गांव को विजेता घोषित किया। नवज्योति मानस मंडली ग्राम 4 उसवाही दूसरे स्थान पर रही। इस टीम को नकद 5 हजार रुपए व प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया।
साथ ही मातेश्वरी मानस मंडली ग्राम खैरबनाकला तीसरे स्थान पर रही। अतिथियों ने 3 हजार रुपए नकद व अन्य पुरस्कार दिए। राज्य सरकार द्वारा की जा रही मानस गान प्रतियोगिता के तहत ब्लाॅक में 24-25 मार्च से शुरू की गई थी। इस कार्यक्रम के लिए 10 कलस्टर बनाई गई थी, जिसमें करीब 100 मानस मंडलियों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। कार्यक्रम में जिपं सीईओ, कवर्धा एसडीएम विनय सोनी, बोड़ला एसडीएम पीसी कोरी, सरपंच ग्राम पंचायत चौरा गीताबाई, सरपंच ग्राम पंचायत छपरी सुरेश मरकाम, पूर्व सरपंच परमेश्वर मानिकपुरी आदि उपस्थित रहे।
विपरीत परिस्थिति में सत्य का साथ ना छोड़ें
मां सरस्वती मानस मंडली ढ़ोंगईटोला के अध्यक्ष गणेश राम यादव ने बताया कि हमारी मानस मंडली में 7 सदस्य हैं। जो हमेशा इस काम को प्राथमिकता के क्रम में रखकर अपने गांव व अन्य ग्रामीण क्षेत्र में रामचरितमानस व नवधा रामायण में शामिल होते हैं।
हमारी टीम गायन, वादन, प्रवचन व समय प्रबंधन के क्षेत्र में निरंतर काम करती हैं। इसी का परिणाम है कि ब्लॉक स्तरीय मानस मंडली स्पर्धा में हमारी टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया। टीम ने माता पिता के संदेश को लेकर जन-जन तक पहुंचाया है। विपरीत परिस्थितियों में भी सत्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए, यही इस मानस मंडली का संदेश है।
साज-सज्जा के साथ मानस मंडली ने लिया हिस्सा
एक दिवसीय स्पर्धा में ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत से आई पारंपरिक वेशभूषा से सुसज्जित मानस मंडलियों ने प्रस्तुति दी। प्रतियोगिता के आयोजक जनपद पंचायत सीईओ केशव राम वर्मा ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी में भारतीय संस्कृति के अनुरूप आचरण रामचरित मानस में वर्णित -आदर्शो मान्यताओं और मर्यादाओं की रक्षा के लिए हर साल इस तरह के आयोजन होने चाहिए। छत्तीसगढ़ की गौरवशाली संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और छत्तीसगढ़िया संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे है।