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विजयादशमी का पर्व हमें अपने अंदर निहित अहंकार को दूर कर सबकी सेवा,सत्कार एवं भाईचारे के लिए प्रेरित करता है : भावना बोहरा* 

पंडरिया दशहरा उत्सव में शामिल हुईं पंडरिया विधायक भावना बोहरा, कहा श्रीराम जी के आदर्श हमें अपने कर्तव्यों के निर्वहन की प्रेरणा देते हैं*

 

*विजयदशमी का पर्व हमें अपने भीतर निहित व्यवहार से दूर कर प्लांट सेवा,सत्कार एवं भाईचारे के लिए प्रेरित करता है : भावना बोहरा*

  1. *पंडरिया दशहरा उत्सव में शामिल हुए पंडरिया के विधायक भावना बोहरा, कहा श्रीराम जी के आदर्श हमें अपनी सक्रियता के प्रेरणा देते हैं*

माँ महामाया दुर्गा उत्सव समिति के तत्वाधान में दशहरा उत्सव का भव्य आयोजन श्री स्वामी आत्मानंद विद्यालय मैदान में किया गया। समारोह में पंडरिया के नेता भावना बोहरा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और सभी को विजयादशमी पर्व की शुभकामनाएं दीं और इस भव्य आयोजन के लिए आयोजन समिति और नगरवासियों को बधाई दी। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध लोक संगीत शिखर सम्मेलन द्वारा भक्तिमय एवं भजन सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई जिसमें हजारों की संख्या में नगर एवं क्षेत्र के निवासी निवास करते हैं एवं अधर्म पर धर्म एवं असत्य पर सत्य की जीत के साथ इस महापर्व को भव्य रूप से मनाया जाता है। भावना बोहरा ने भी सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि श्रीराम जी के आदर्श हमें अपनी विचारधारा के प्रति प्रेरणा देते हैं।

भावना बोहरा ने कहा कि विजयादशमी के पर्व पर हमें अपने अंदर निहित भाव को दूर कर सानिध्य सेवा,सत्कार एवं भाईचारे की प्रेरणा मिलती है। आज प्रभु श्रीराम जी के आदर्शों और उनकी पदयात्राओं को लेकर हम पंडरिया क्षेत्र की सुख-समृद्धि और नगरवासियों की खुशहाली के लिए निरतरता का लाभ उठाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस के शासन में 5 वर्षों तक हमारा पंडरिया विधानसभा उपेक्षित रहा, विकास कार्यों के नाम पर केवल पुष्टि हुई, काम के बदले कमीशन का खेल चला, जनता का लाभ कम हो गया लेकिन जनता ने भाजपा की डबल गठबंधन सरकार बना ली सुशासन का सूर्योदय जिसका प्रत्यक्ष रूप आज जनता के सामने है। अंधकार से उजाले की ओर हमारा पंडरिया क्षेत्र का क्षेत्र हुआ जहां विकास और श्रम का लाभ हुआ, सरकार की मंजूरी ने इसे समृद्ध बनाया है।

उन्होंने आगे कहा कि विजयादशमी का पर्व केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि हमारे सांस्कृतिक, नैतिक और सामाजिक लोकतंत्र का प्रतीक है। दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, बुराई पर विजय का उत्सव है। यह वह दिन है जब प्रभु श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म, सत्य और न्याय की स्थापना की थी। यह पर्व हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म के मार्ग पर कितनी भी विपत्तियाँ आती हैं, अंत में सत्य की ही विजय होती है। रावण, जो विद्या, शक्ति और वैभव में अतुलनीय था, उसका व्यवहार और अधर्म के कारण परास्त हुआ। यह पर्व हमें आत्ममंथन का अवसर देता है कि हम अपने जीवन में उन बुरे लोगों, जैसे लालची, क्रोधी, व्यवहार का अंत करें और प्रभु श्रीराम के आदर्शों को अपनाएं। दशहरा केवल धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक एकता, सांस्कृतिक विरासत और मनोवैज्ञानिक उत्साह का भी प्रतीक है।

भावना बोहरा ने आगे कहा कि प्रभु श्रीराम का जीवन एक ऐसी मिसाल है, जो हर युग और हर समाज के लिए है। वे प्रतिबंधहीन कहलाए, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में हर भूमिका, पुत्र, भाई, पति, राजा और योद्धा को पूर्ण निष्ठा और अभिनय के साथ बांधा। उनके जीवन से हम सभी कर्तव्यनिष्ठा, न्यायप्रियता और स्थिरता, सहनशीलता और धैर्यशीलता एवं एकजुटता जैसे गुणों को अपनाकर शिक्षा और जागरूकता, आर्थिक समृद्धि, सामाजिक समरसता और सुशासन स्थापित करने के लिए सामूहिक प्रयास करते हैं।

इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष, जिला अध्यक्ष उपाध्यक्ष एवं, समग्र समग्र संगठन, जिला सदस्य, भाजपा समर्थक, कार्यकर्ता, मां महामाया दुर्गा उत्सव समिति के समग्र एवं बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित रहे।

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